Kirori Singh Bainsla: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जीवन परिचय और सेना के जवान से गुर्जर समाज के नेता तक का सफर
जयपुर न्यूज डेस्क। आज राजस्थान की धरती ने एक ऐसे महान पुरूष को खोया जिसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है। हम बात कर रहें गुर्जर समाज के मसीहा माने जाने वाले कर्नल किरोड़ी बैंसला की, जिनका आज निधन हो गया है। आज के इस लेख में हम आपको कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जीवन परिचय और सेना के जवान से गुर्जर समाज के नेता तक का सफर तय करने की जानकारी दे रहें है। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में 12 सितंबर 1939 के दिन हुआ था। फ़िलहाल उनके माता पिता की अधिक जानकारी नहीं है लेकिन उनके पिता भारतीय फौज में सिपाही थे। उनकी शादी उस उम्र में की गई, जिसे हम बचपन कहते है। आपको बता दें की बैंसला की पत्नी का निधन हो चुका है। आज उनके चार संतान है, जिस में एक बेटी रेवेन्यु सर्विस में और दो बेटे सेना में हैं और एक बेटा प्राइवेट कंपनी में कार्यरत है।
बचपन से ही किरोड़ी सिंह को पढ़ने लिखने का शौक था इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षक के तौर पर काम किया। लेकिन पिता के भारतीय फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज के प्रति कुछ ज्यादा ही था। इसलिए उन्होंने शिक्षक के नौकरी छोड़कर सेना में जाने का पक्का मन बन लिया और आखिर में भारतीय सेना में भर्ती हो गए। सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने भारत के दो बड़े युद्ध 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान उन्हें युद्धबंदी बना लिए। किरोड़ी सिंह बड़े जांबाज़ सिपाही थे। उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ सेना में काम किया जिसके चलते उन्हें कर्नल के ओहदे से नवाजा गया। उनकी बहादुरी के कारण उन्हें साथी कमांडो और सीनियर्स उन्हें जिब्राल्टर का चट्टान और इंडियन रेम्बो के उपनाम से बुलाते थे।
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सेना से रिटाटर होने के बाद किरोरी सिंह राजस्थान वापस आ गए। उन्होंने देखा की राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया और सरकारी नौकरी में भी उन्हें स्थान दिया गया लेकिन सरकार ने गुर्जर समाज के लिए कोई कदम नही उठाये। गुर्जर समाज के लोगों के लिए उन्होंने लड़ना शुरू किया। गुर्जर समाजके हक़ के लिए उन्होंने कई आंदोलन किये जैसे की रेल रोको आंदोलन, रेल की पटरी के बीच धरना करना। किरोरी सिंह का नाम तब प्रसिद्ध हुआ जब उन्होंने 3 सितंबर 2006 के दिन अपने समर्थको के साथ करौली के हिण्डोन क़सबे में दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग को पहली बार रोका और सरकार से गुर्जरों को ओबीसी कोटे के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग की। इस दौरान उन्होने काफी लंबा आंदोलन किया है और समाज को उसको हक दिलाया है। जिसके चलते गुर्जर समाज के लोग उन्हें मसीहा मानकर उनकी पूजा करते है।
आज गुर्जर समाज के उसी मसीहा का निधन हो गया है। गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला का लंबी बीमारी के बाद जयपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया है। उनके पुत्र विजय बैंसला ने ये सूचना दी है। गुर्जर नेता बैंसला के निधन पर लोग ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कर्नल किरोड़ी सिंह, बैंसला के पार्थिव देह को उनके खातीपुरा स्थित आवास पर रखा गया है। उनके निधन की दुख भरी खबर सुनते ही बड़ी संख्या में उनके समर्थक और समाज के सदस्य उनके अंतिम दर्शन के लिए वहां पहुंचे। आज उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव मुंडिया में किया जायेंगा। उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे विजय बैंसला के मुख्गनि देकर किया जायेंगा। वहीं, जानकारी सामने आई है कि अब प्रदेश में उनकी हर जगह मूर्तिया लगा कर मेले का आयोजन अखिल भारतीय गुर्जर समाज के द्वारा किए जाने का फैसला किया जा रहा है।