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Sirohi में दो परकोटों के बीच सारणेश्वर महादेव मंदिर, अलाउद्दीन भी दर्शन के लिए आया था यहां

 
Sirohi में दो परकोटों के बीच सारणेश्वर महादेव मंदिर, अलाउद्दीन भी दर्शन के लिए आया था यहां


सिरोही न्यूज़ डेस्क,वैसेतो जिले के आराध्य देव सारणेश्वर महादेव के दर्शन के लिए हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन शिवरात्रि के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की लंबी कतारें नजर आएंगी। मेला दिन भर चलेगा और दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर पहुंचेंगे। भास्कर ने शिवरात्रि के इस खास मौके पर हजारों श्रद्धालुओं के लिए सारणेश्वर महादेव मंदिर की यह खास फोटो की। जिसमें इस ऐतिहासिक मंदिर की प्राचीर और पूरा परिसर दोनों पहली बार एक साथ नजर आ रहे हैं।

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सिरोही के पूर्व राजा रघुवीर सिंह कहते हैं कि 1298 में अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात के सिद्धपुर में रुद्रमल के महादेव मंदिर को नष्ट कर दिया और वहां शिवलिंग को गाय की खाल में बांध दिया और सिरोही लौट आया, लेकिन सिरोही के महाराव ने उसे आगे नहीं जाने दिया और उसके बाद युद्ध में उसे पराजित कर सिरोही में शिवलिंग की स्थापना की। आज यह स्थान सारणेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के पीछे पहाड़ों के बीच से पानी बहता है। जिसे शुक्ल तीज तालाब के नाम से जाना जाता है। जबकि सामने वैजनाथ महादेव का मंदिर है।

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फिल्मकार संजय लीला भंसाली की निर्माणाधीन फिल्म से सुर्खियों में आए अलाउद्दीन खिलजी भी सारणेश्वर महादेव के दर्शन करने पहुंचे. उन्होंने यहां बड़ी मात्रा में सोना और चांदी भी दान किया था। वास्तव में, अलाउद्दीन 1298 में सिरोही में अपनी हार का बदला लेने के लिए यहाँ वापस आया था। तब उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। जिसे सारणेश्वर महादेव के पीछे स्थित तालाब के पानी से ही ठीक किया गया था। इस चमत्कार से प्रभावित होकर वे मंदिर में दर्शन करने आए और यहां बड़ी रकम दान की। साथ ही प्रण किया कि वह कभी भी सिरोही वापस नहीं आएंगे।