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Rajsamand पर्युषण पर्व का चौथा दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया

 
Rajsamand पर्युषण पर्व का चौथा दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया
राजसमंद न्यूज़ डेस्क, राजसमंद भिक्षुविहार में मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व के अंतर्गत चौथा दिन वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया।मुनि अतुल कुमार ने कहा कि बोले गए शब्द ही ऐसी चीज़ है, जिसकी वजह से इंसान या तो दिल में उतर जाता है या दिल से उतर जाता है। झूठ बोलकर, धोखा देकर ,चालाकी भरे शब्दों का व्यवहार करके मनुष्य दूसरों को विश्वास से रहित बना देता है। ऐसे व्यक्तियों का कोई साथ नहीं देता। धूर्त, चालाक, लंपट, वाचाल व्यक्तियों से सभी बचना चाहते हैं। आत्मा की शांति के लिए मौन एक ब्रह्मास्त्र होता है। मौन रहने से दुनिया के कठिन से कठिन कार्य सरल हो जाते हैं। मौन दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति होती है, जो कई विवादों को खत्म कर देती है। किसी को भी अपमानजनक शब्द बोलने से मौन रहना अच्छा होता है। बोलना चांदी है, मौन सोना है और विवेक के साथ बोलना डायमंड है। वाणी मधुर हितकारी एवं विवेक युक्त होनी चाहिए। किसी के दिल को आघात या चोट लगे वह पाप होता है। मीठा बोलो वही वशीकरण मंत्र होता है। अंत में मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। इस दौरान महिला मंडल के तत्वावधान में सामयिक की एक पचरंगी, मौन की दो पचरंगी एवं तेरह तेले तप अनुष्ठान हुए।

मीठी वाणी से पूरा जग होगा आपका: साध्वी डॉ. परमप्रभा

 पर्युषण की साधना में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ समाज कांकरोली के प्रज्ञा विहार में चातुर्मासरत साध्वी डॉ. परमप्रमा, साध्वी श्रेयस प्रभा एवं साध्वी प्रेक्षा प्रभा ने बुधवार को वाणी संयम दिवस का महत्व बताया। मंगलाचरण श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ समाज कांकरोली के सदस्यों ने सामूहिक रूप से प्रस्तुत कर कार्यक्रम शुरू किया। साध्वी श्रेयस प्रभा ने भगवान महावीर के भवों का विवेचन किया। साध्वी प्रेक्षा प्रभा ने कहा वाणी पर नियंत्रण से जीवन में कई शुभ परिणामों को पाया जा सकता है। साध्वीश्री डॉ. परमप्रभा ने कहा कि एक कटु वचन जीवन को बर्बाद और एक मधुर वचन जीवन को आबाद कर सकता है। रात्रिकालीन कार्यक्रम के अंतर्गत सेहत का रहस्य विषय पर गोष्ठी हुई। संचालन श्रेया छाजेड ने किया। साहित्यकार नारायण सिंह राव, सुमतिचंद्र मेहता, योगा गुरू कुसुम बापणा ने भी विचार व्यक्त किए। मंत्री धनेन्द्र मेहता ने आभार जताया।

इसी तरह नजरवाड़ी ओसवाल भवन में श्रमण संघीय साध्वी एषणा ने अंतगड़ सूत्र का विवेचन करते हुए धर्म सभा में फरमाया कि संसार परिवर्तनशील है। चीजें हमेशा एक जैसी नहीं रहती। प्रवचन की शुरुआत साध्वी आर्या ने भगवान महावीर के स्तवन से की और साध्वी वृंद द्वारा अंतगड़ सूत्र का प्राकृत भाषा में वाचन किया गया। श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ कांकरोली के महामंत्री रोशन डांगी ने बताया कि प्रवचन में श्रावक श्राविकाओं ने एकासन, आयंबिल, उपवास, बेला, तेला, चार उपवास आदि कई तपस्याओं के प्रत्याख्यान लिए। प्रवचन सभा में संघ अध्यक्ष महेश पगारिया, उपाध्यक्ष दिनेश बाबेल, सलाहकार डा गोरधनलाल हिंगड़, देशबन्धु हिंगड़, गणपत सिसोदिया, हरकलाल चपलोत, बंशीलाल सोलंकी, कोषाध्यक्ष सागर चंडालिया, मंत्री सुधीर पगारिया आदि उपस्थित थे।