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'कथनी और करनी में अंतर' आखिर क्यों समरावता कांड में जेल से छूटे नरेश मीणा के समर्थक किरोड़ी लाल मीणा से हैं नाराज़ ?

 
'कथनी और करनी में अंतर' आखिर क्यों समरावता कांड में जेल से छूटे नरेश मीणा के समर्थक किरोड़ी लाल मीणा से हैं नाराज़ ?

टोंक न्यूज़ डेस्क, टोंक जिले के समरावता गांव में मतदान के दिन हुए थप्पड़ कांड में एरिया मजिस्ट्रेट द्वारा ग्रामीणों से जबरदस्ती मतदान करवाने का आरोप लगाते हुए थप्पड़ मारने वाले नरेश मीणा जेल में बंद है. वहीं नरेश मीणा के समर्थक सरकार के साथ ही मंत्री किरोड़ी लाल मीणा से भी खफा हैं. उनका कहना है कि किरोड़ी न तो जेल में किया गया वादा निभाया गया और न ही समरावता की धरती पर ग्रामीणों से किया गया वादा पूरा हुआ. उल्टे जो कहा गया, उसके विपरीत हुआ. समर्थकों का कहना है कि काश किरोड़ी लाल मीणा अपना वादा निभाते तो उन्हें 55 दिन जेल की सलाखों के पीछे नहीं काटने पड़ते.समरावता कांड में 62 में से 61 नरेश मीणा समर्थक जेल से बाहर आ चुके हैं और अब उनकी रिहाई को लेकर एक बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. वहीं नगर फोर्ट में हुई महापंचायत में सरकार को दिए गए अल्टीमेटम के 10 दिन की मियाद भी पूरी हो चुकी है.

''उनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर''
जेल से छूटे साबू राम मीणा समरावता हिंसा और आगजनी मामले में 55 दिन जेल की सलाखों के पीछे गुजारकर जमानत पर बाहर आए. बूंदी निवासी साबू राम मीणा का कहना है कि किरोड़ी लाल मीणा जेल में आए थे. तब उन्होंने न्यायिक जांच के साथ ही दो-तीन दिन में जेल से छुड़वाने और समरावता में हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने का वादा किया था. लेकिन इससे उल्टा हुआ और कथनी और करनी में बहुत अंतर देखा गया.

''ना मुआवज़ा मिला, ना वादा निभाया''
नरेश मीणा के समर्थक और टोंक जिले के भरनी से सरपंच मुकेश मीणा ने किरोड़ी लाल मीणा पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि टोंक जेल से लेकर समरावता गांव में स्कूल जाकर जनता और जेल में बेगुनाहों से किया गया वादा नहीं निभा सके. न किरोड़ी लाल मीणा और न ही सरकार ने अब तक लोगों की गाड़ियां जलने और घरों में हुए नुकसान का मुआवजा दिया है. न ही न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं. ऐसे में किरोड़ी लाल मीणा और जवाहर सिंह बेडम अपने वादे पर खरे नहीं उतर पाए हैं.


नरेश मीणा से मिलने जेल गए थे किरोड़ी 
देवली-उनियारा सीट पर हुए उपचुनाव में मतदान के दिन हुए थप्पड़ कांड और मतदान खत्म होने के बाद गांव में हिंसा और आगजनी को लेकर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा दो बार समरावता गांव गए थे. पहली बार 14 नवंबर को नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद और दूसरी बार 20 नवंबर को उन्होंने टोंक जेल में बंद नरेश मीणा और अन्य आरोपियों से मुलाकात की थी. उसके बाद गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेडम के साथ समरावता गांव पहुंचे और ग्रामीणों से उचित मुआवजे और गांव के विकास का वादा किया था. 

17 जनवरी से होगी प्रशासनईक जांच की शुरुआत 
टोंक जिले में उपचुनाव के दौरान थप्पड़ कांड और समरावता में आगजनी और उपद्रव मामले की अब प्रशासनिक जांच शुरू होगी. सरकार के निर्देश पर संभागीय आयुक्त महेश चंद शर्मा 17 जनवरी को सर्किट हाउस में जनसुनवाई करेंगे. जांच के लिए सरकार ने संभागीय आयुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया था. ऐसे में 17 जनवरी को सर्किट हाउस में लोग अपनी समस्या बता सकते हैं. लेकिन इस बात की उम्मीद कम ही है कि समरावता गांव के लोग टोंक सर्किट हाउस आएंगे.

13 नवंबर को क्या हुआ था ?
समरावता गांव में 13 नवंबर को देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव के दौरान मतदान का ग्रामीणों द्वारा बहिष्कार किया गया और उसी दौरान तीन वोट डाले जाने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एरिया मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था. इससे पहले ग्रामीणों ने विभिन्न मांगों को लेकर वोटिंग का बहिष्कार शुरू किया था और काफी हंगामा हुआ था. इसी दौरान थप्पड़ कांड हुआ और एसडीएम को थप्पड़ मारने का मामला तूल पकड़ गया. नरेश मीणा की जगह-जगह गिरफ्तारी की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन भी हुए.

वोटिंग का बहिष्कार करने वाले ग्रामीण इस थप्पड़ कांड के बाद मतदान स्थल से थोड़ी दूर धरने पर बैठ गए. करीब चार घंटे बाद दोपहर 3:30 बजे ग्रामीण मतदान के लिए राजी हो गए, लेकिन मतदान करने के बाद वे नरेश मीणा के साथ वापस धरने पर बैठ गए. रात को मतदान समाप्त होने के बाद गांव में हिंसा और आगजनी हुई जिसमें कई चौपहिया और दोपहिया वाहन जला दिए गए. बाद में भारी पुलिस बल के बीच नरेश मीणा की गिरफ्तारी हुई थी. फिलहाल, अभी भी नरेश मीणा जेल में बंद हैं, जबकि 61 आरोपियों को अलग-अलग कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.