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Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में कांग्रेस मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी, सीएम गहलोत के मिशन में बाधक बन सकते है यह 12 जिले

 
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में कांग्रेस के मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी, सीएम गहलोत के मिशन में बाधक बन सकते है यह 12 जिले

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान के दिसंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर राजस्थान सरकार मिशन मोड़ में आ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दौरे कर चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन मिशन 2023 को फतेह करने में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा संकट राजस्थान के वो 12 जिले हैं, जहां पर कांग्रेस के विधायकों की सत्ता में भागीदारी नहीं है।  इन 12 जिलों की कुल 64 सीटों में से 30 विधायक कांग्रेस के हैं।  जबकि यहां जीते निर्दलीय विधायकों का कांग्रेस को समर्थन है। इन 12 जिलों के कांग्रेस विधायक प्रदेश के आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल पर नजरें टिकाए हुए हैं, ताकि उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी मिले और वे पूरी ताकत से अगले चुनाव में जनता के बीच जा पाएं। 

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राजस्थान सरकार में इन 12  जिलों से कोई भी विधायक मंत्री नहीं बन पाया है।  30 सदस्यीय गहलोत मंत्रिमंडल का 50 फ़ीसदी मंत्रिमंडल केवल चार ज़िलों से में सिमटा हुआ है। जिन जिलों को मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं मिल पाई है, उनमें उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, सिरोही, धौलपुर,टोंक सवाई माधोपुर हनुमानगढ़, गंगानगर, चूरू ,अजमेर, सीकर शामिल है। गहलोत सरकार के मौजूदा मंत्रिमंडल में 4 जिले ऐसे हैं जिन्हें सबसे ज्यादा भागीदारी मिली हुई है।  इनमें जयपुर, भरतपुर, दौसा और बीकानेर शामिल हैं। जयपुर जिले से मंत्रिमंडल में 4, भरतपुर जिले से 4, दौसा जिले से तीन और बीकानेर जिले से तीन मंत्री हैं। कांग्रेस का सबसे मजबूत वोट बैंक कहे जाने वाले आदिवासी अंचल के 3 जिले ऐसे हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं मिली है। इनमें डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर शामिल है। जबकि बांसवाड़ा जिले से दो विधायक हैं, दोनों को ही मंत्री बनाया हुआ है। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और टोंक से विधायक सचिन पायलट के जिले से भी कांग्रेस पार्टी के तीन विधायक हैं, लेकिन तीनों को ही मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई है। 

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तीन जिले ऐसे भी हैं, जहां पर कांग्रेस का कोई विधायक नहीं

6 जिले ऐसे भी हैं, जिनसे मंत्रिमंडल में 1-1 विधायक को मंत्री बनाकर प्रतिनिधित्व दिया हुआ है. उनमें भीलवाड़ा, बाड़मेर, करौली, जालोर, बूंदी और जैसलमेर है। भीलवाड़ा से रामलाल जाट, बाड़मेर से हेमाराम चौधरी, करौली से रमेश मीणा, जालोर से सुखराम बिश्नोई, बूंदी से अशोक चांदना और जैसलमेर से साले मोहम्मद हैं। प्रदेश में तीन जिले ऐसे भी हैं, जहां पर कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है।  इनमें पाली, झालावाड़ और सिरोही है। हालांकि सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार हैं, जो सरकार को समर्थन दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जोधपुर की 10 में से 7 सीटों और सीकर जिले की 8 में से 7 सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है। एक कांग्रेस पृष्ठभूमि के निर्दलीय विधायक हैं, जो सरकार को समर्थन दे रहे हैं। लेकिन जोधपुर की सरदारशहर सीट से विधायक अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं, तो वहीं सीकर के लक्ष्मणगढ़ से विधायक गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन इन दोनों के अलावा किसी अन्य विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। दोनों जिलों में कुछ लोगों को राजनीतिक नियुक्तियां देकर बोर्ड-निगम का चेयरमैन बनाया गया है। 

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माना जा रहा है कि संभावित तीसरे और अंतिम मंत्रिमंडल फेरबदल के जरिए कांग्रेस पार्टी प्रदेश में सवा साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव मे जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास करेगी। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने से मेहरूम रहे जिलों को मौका मिल सकता है। इन 12 जिलों के कांग्रेस विधायक प्रदेश के आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार फेरबदल पर नजरें टिकाए हुए हैं, ताकि उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी मिले और पूरी ताकत से अगले चुनाव में जनता के बीच जा पाएं।