Floods in Rajasthan: कोटा जिले में बाढ़ से बिगड़े हालात, हजारो मकान हुए जलमग्न और कई गांव बने टापू
कोटा न्यूज डेस्क। राजस्थान में भारी बारिश से कई जिलों में बाढ़ आ चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित जिला कोटा बना हुआ है। कोटा में नदी-नालों में उफान आ चुका है और निचले इलाको में पानी भरने से हजारों मकान जलमग्न हो गए है और कई गांव टापू बन गए है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमे लगी हुई है। कोटा में भारी बारिश के चलते कोटा बैराज के 16 गेट खोले गए है। इससे निचले इलाको में पानी भर गया है और कई मकान जलमग्न हो गए है। लोग मकानों की छतों पर पहुंच कर अपनी जान बचा रहें है।
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मध्यप्रदेश व हाड़ौती क्षेत्र में पिछले 24 घंटे से हो रही बारिश ने इटावा क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात है। सूखनी नदी में उफान आने से निचली बस्तियों सहित बस स्टैंड पानी में डूब गया है। लोगों से घरों को खाली करवाकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। खातोली पार्वती नदी का पानी खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। जिससे निचली बस्तियों में पानी भर गया है। इटावा सहित क्षेत्र में बीती रात से लगातार बारिश हो रही जिससे इटावा कस्बे में कई कॉलोनियां जलमग्न हो चुकी है। घरों में पानी घुसने के कारण लोगो को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
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#Kota #SDRF की टीमें राजस्थान कमांडेंट राजकुमार गुप्ता IPS के निर्देशन में प्रदेशभर में बेहतरीन जनसेवा कर रही,
— सिरोही की आवाज (@Sirohikiaawaz) August 23, 2022
इसी कड़ी में SDRF रेस्क्यू टीम ने इटावा कोटा के टापू बने किरपुरा तथा रघुनाथपुरा गाँवो से 350 ग्रामीनो को किया रेस्क्यू, मौजूद प्रशासन और आमजन ने SDRF की जमकर की सराहना pic.twitter.com/KGxAxTCaIe
इटावा क्षेत्र में चम्बल, पार्वती व कालीसिंध नदियों के किनारे बसे क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांव टापू बन गए है।नारायणपुरा, किरपुरा , रघुनाथपुरा , राजपुरा, मदनपुरा , फरेरा , गोवर्धनपुरा , गुड़ला सहित कई गांव टापू बन गए है। गैंता पंचायत के किरपुरीया गांव में पानी आ जाने से गांव के लोगों को एसडीआरएफ की सहायता से निकालकर गैंता में लाया गया है। क्षेत्र में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से एक बार फिर किसानों के लिये मुसीबत बन गई है, खेत पूरी तरह लबालब है। पानी की निकासी नही होने से फसलें खराब हो रही है। नहरों में पानी का प्रवाह हो रहा है। क्षेत्र में खेतों में पानी का जलभराव होने के कारण अधिकांश सोयाबीन व उड़द की फसलें पूरी तरह खराब हो चुकी है।