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Jhalawar में मां दुर्गा की प्रतिमाओं को लेकर 9 परिवारों के लोग जुटे मूर्ति बनाने में, 1 से लेकर 5 फीट तक की मिलेगी मूर्तियां

 
Jhalawar में मां दुर्गा की प्रतिमाओं को लेकर 9 परिवारों के लोग जुटे मूर्ति बनाने में, 1 से लेकर 5 फीट तक की मिलेगी मूर्तियां

झालावाड़ न्यूज़ डेस्क,झालरापाटन में नवरात्रि पर्व की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इसमें सबसे प्रमुख मां दुर्गा की मूर्तियों को लेकर खासा उत्साह है। इसे देखते हुए झालरापाटन-झालावाड़ हाईवे के सर्विस लेन रोड पर उदयपुर जिले के मूर्तिकार दिन-रात मां के विभिन्न रूपों को आकार देने में लगे हुए हैं. सर्विस लेन रोड पर स्थापित अस्थाई फैक्ट्रियों में मां की प्रतिमा बीकानेर की मिट्टी से अलग-अलग आकार ले रही है.

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झालरापाटन-झालावाड़ हाईवे के सर्विस लेन रोड पर 9 परिवारों के करीब 125 लोग दिन-रात मां दुर्गा की मूर्ति बनाने में लगे हुए हैं. ये सभी लोग उदयपुर जिले के गोगुंडा के रहने वाले हैं। पंजावत समुदाय के ये लोग विरासत से मूर्ति बनाने का काम करते हैं और हर साल 3 महीने तक झालावाड़ जिले में मूर्ति बनाने आते हैं। ये लोग गणेश उत्सव से 1 महीने पहले आते हैं, और नवरात्रि उत्सव के बाद चले जाते हैं। यहां जाने के बाद ये लोग पैसे कमाने के लिए दूसरे काम करते हैं।

मूर्तिकार आमेर लाल ने बताया कि मूर्ति बनाने में मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। ये लोग परिवहन के माध्यम से यह मिट्टी बीकानेर क्षेत्र से प्राप्त करते हैं। वहां यह मिट्टी 2000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उपलब्ध है। आमेर लाल ने बताया कि 1 क्विंटल मिट्टी में कितनी मूर्तियां बनेंगी, यह मूर्ति के आकार पर निर्भर करता है।

मूर्तिकार मां दुर्गा की 1 फुट से लेकर 5 फुट तक की मूर्तियां बनाते हैं। मूर्तिकार आमेर ने कहा कि सामान्य तौर पर सिंह पर सवार मां दुर्गा के रूप और भगवान शिव पर खड़ी मां काली के रूप की मांग अधिक है। एक मूर्ति को पूरी तरह से तैयार होने में कम से कम 5 दिन लगते हैं।

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मूर्ति निर्माण के कार्य से जुड़ी महिला अमरी बाई ने बताया कि श्री गणेश उत्सव के दौरान उन्हें काफी कष्ट हुआ है. क्योंकि हर परिवार में गणेश उत्सव के लिए एक सौ से एक सौ पचास मूर्तियाँ बनाई जाती थीं। दूसरी ओर दुर्गा की मूर्तियों के लिए ऑर्डर नहीं आने शुरू हो गए हैं, जिससे उनके सभी परिवारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि उन्हें अपने रोज के खाने-पीने का खर्च भी नहीं मिल पा रहा है।