Jaisalmer बाबा रामदेव के दरबार में आस्था की लहर, उमड़े सैकड़ों श्रद्धालु
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख तीर्थस्थली रामदेवरा में 5 सितम्बर को 640वें भादवा मेले का विधिवत शुभारम्भ किया जाएगा। लेकिन इससे पहले ही लाखों श्रद्धालु रामदेवरा पहुंच चुके हैं। बाबा के मेले की खूबसूरती उनके भक्तों से ही है। यहां आने वाले हर श्रद्धालु की भक्ति की कहानी उनके चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। बाबा के भक्तों का संघर्ष तभी सामने आता है जब वे रामदेवरा पहुंचते हैं। कुछ सेकेंड के दर्शन के लिए श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा तय करके यहां आते हैं।
भादवा मेले की प्रशासनिक व्यवस्थाएं 20 अगस्त से ही शुरू हो चुकी हैं। प्रशासनिक स्तर पर मेले की अवधि एक महीने की होती है, लेकिन बाबा का मेला भादवा शुक्ल पक्ष की दूज (5 सितम्बर) से लेकर भादवा शुक्ल पक्ष की एकादशी (14 सितम्बर) तक आयोजित होता है। रामदेवरा पहुंचने वाले हर श्रद्धालु की इच्छा होती है कि वे दूज के दिन बाबा की समाधि के दर्शन करें। समाधि के दर्शन के लिए भक्त दण्डवत और पैदल यात्रा करते हुए आते हैं। भादवा मेले के दौरान बाबा की समाधि के दर्शन सुबह की अभिषेक आरती से शुरू होते हैं।
15 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
रामदेवरा में 15 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। बाबा का विधिवत मेला 5 सितम्बर से शुरू होगा, लेकिन इससे पहले ही लगभग 15 लाख श्रद्धालु बाबा की समाधि के दर्शन कर चुके हैं। प्रतिदिन करीब 1 लाख से अधिक यात्री दर्शन के लिए आते हैं। बाबा की समाधि के दर्शन के लिए मंदिर 22 घंटे खुला रहता है, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अधिक इंतजार न करना पड़े।
दूध से अभिषेक के बाद बाबा की समाधि के दर्शन
लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन सुबह की अभिषेक की आरती से शुरू होते हैं। इस प्रक्रिया में बाबा की समाधि को पहले दूध से नहलाया जाता है, फिर उसे चादर से ढककर और फूलों से सजाया जाता है। इस दौरान बाबा की अभिषेक आरती की जाती है, जो लगभग 30 मिनट तक चलती है। बाबा रामदेव की समाधि पर 5 आरती की जाती हैं।
रामदेवरा में दर्शनीय स्थल
रामदेवरा आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले बाबा की समाधि के दर्शन करते हैं। इसके बाद, वे डालीबाई की समाधी और बाबा की आस्था के केंद्र, रामसरोवर तालाब के दर्शन करते हैं। इसके साथ ही भक्त रामदेवरा स्थित परचाबावड़ी और फिर झूलापालना में बाबा के झूले के दर्शन के लिए भी पहुंचते हैं।
3 हजार दुकानों पर होती है विशेष सजावट
भादवा मेले के दौरान रामदेवरा पूरी तरह सज जाता है और यहां आने वाले लाखों भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं। रामदेवरा बाजार की रात को विशेष नजारा देखने को मिलता है, जहां हजारों दुकानें रंग-बिरंगी रोशनी में चमकती हैं। यहां पोकरण रोड और नाचना रोड पर यात्री-मनोरंजन के लिए झूले और अन्य आइटम भी लगे हुए हैं। मेले के दौरान रामदेवरा में लगभग 3 हजार दुकानें सजती हैं।
पैदल यात्री रुकने पर करते हैं नेजा की पूजा
रामदेवरा बाबा की समाधी के दर्शन के लिए आने वाले पैदल यात्रियों के साथ हमेशा नेजा और बड़ी ध्वजा होती हैं। संघ के साथ सबसे पहले नेजा को उठाए हुए यात्री होता है और यही नेजा संघ का नेतृत्व करता है। बाबा के पैदल भक्त जहां भी रुकते हैं, इस नेजा की पूजा करते हैं।
जीवित घोड़े भी चढ़ाते हैं भक्त
भादवा मेले के दौरान, श्रद्धालु बड़े आकार के कपड़े के घोड़े लेकर आते हैं, जिनकी ऊंचाई लगभग 7 से 10 फीट होती है। ये घोड़े मेले का प्रमुख आकर्षण होते हैं और भक्त पूरे रास्ते इनकी पूजा करते हैं। रामदेवरा में भक्त चांदी और कांच के घोड़े भी बाबा की समाधि पर चढ़ाते हैं, इसके साथ ही जीवित घोड़े भी चढ़ाए जाते हैं।
जहां जगह मिली, वहीं सो जाते हैं बाबा के भक्त
रामदेवरा आने वाले श्रद्धालुओं को न तो बिस्तर की आवश्यकता होती है और न ही चारपाई की। बाबा के भक्त धरती को बिछौना और आसमान को चादर बना कर सो जाते हैं। रामदेवरा में श्रद्धालु कहीं भी सोते हुए और आराम करते हुए देखे जा सकते हैं। इनमें से अधिकांश यात्री एक से अधिक बार पैदल यात्रा कर चुके होते हैं। चाहे कितनी भी थकावट हो, श्रद्धालु अपनी यात्रा को रोकते नहीं हैं।