Rajasthan Assembly Election 2023: चुनावों के कारण सचिन पायलट पर नहीं होंगी अनुशासनात्मक कार्रवाई, केंद्रीय संगठन में बड़ा पद मिलने की संभावना
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले और अगले साल लोकसभा के चुनाव होंगे। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के मूड़ में नहीं है। राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर एक्शन की बात कहने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह के सुर बदल गए हैं। आलाकमान और राहुल गांधी से वार्ता के बाद अब रंधावा ने कहा है कि जल्दबाजी में फैसले नहीं होते, बड़े लीडर ही कुछ तय करेंगे। फोन पर मीडिया बातचीत में दिल्ली से रंधावा ने कहा कि पूरे मामले पर अभी विचार चल रहा है। हाईकमान को अभी प्रारंभिक जानकारी दी गई है, लेकिन अभी डिटेल में भी जानकारी दी जाएगी। हमने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष से चर्चा की है। वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करने के बाद ही कोई फैसले होते हैं, जिसमें समय लगेगा। जल्दबाजी में फैसले नहीं किए जाते है।
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दो दिन पहले सचिन पायलट पर एक्शन की बात कहने वाले रंधावा के बदले सुरों के सियासी मायने निकाले जाने शुरू हो गए हैं। रंधावा और वेणुगोपाल ने गुरुवार को दो-तीन बार कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल और सुखजिंदर सिंह रंधावा ने राहुल गांधी से भी मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने रंधावा और वेणुगोपाल को स्पष्ट रूप से कह दिया है कि एक्शन लेने या नहीं लेने को लेकर मीडिया में कोई बयान जारी नहीं किया जाए। गांधी परिवार से हरी झंडी मिलने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जाए। इसके बाद रंधावा और वेणुगोपाल में से किसी ने मीडिया के सामने कुछ नहीं कहा। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद केसी वेणुगोपाल और रंधावा ने फिर से खड़गे से मुलाकात की है ।
कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में सीएम नहीं बना सकी। मुखिया का तख्ता पलट नहीं हो सका, इसका दर्द सचिन पायलट के साथ प्रियंका और राहुल गांधी को भी है। शायद यही वो कारण है कि कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट के बगावती तेवरों, प्रेसवार्ता के बयान और अनशन मामले पर जल्दबाजी में कुछ फैसला नहीं करना चाहता है। सचिन पायलट पार्टी में बड़ा युवा चेहरा हैं। हिमाचल में पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में उनकी भूमिका रही है। कांग्रेस के सीनियर नेता उन्हें एसेट मानते हैं। पायलट राहुल गांधी और प्रियंका के अच्छे मित्र भी हैं। दूसरा चुनाव के माहौल के बीच पायलट पर कार्रवाई कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकती है। राजस्थान ही नहीं कर्नाटक, एमपी, छत्तीसगढ़ और आगामी चुनावों में सभी जगह इसका असर पड़ सकता है।
गहलोत और पायलट की सियासी अदावत काफी पुरानी है। इसी कारण कांग्रेस में कई दौर की बैठकों के बाद भी इस विवाद पर उलझन बनी हुई है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी आलाकमान पायलट मामले का फैसला करने की जल्दबाजी में नहीं है। पार्टी कोई भी कदम उठाने से पहले फायदे और नुकसान का पूरा आकलन कर रही है। सूत्र बताते हैं राजस्थान के मसले पर वरिष्ठ नेताओं सोनिया, राहुल, प्रियंका से चर्चा के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि पार्टी पायलट को केंद्रीय संगठन में बड़ा पद देकर चुनावी माहौल बनाने और कांग्रेस संगठन में काम करने के लिए कह रही है। 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनकी भूमिका देखी जा रही है। सचिन पायलट पहले भी केंद्रीय राज्य मंत्री यूपीए सरकार के समय रहे हैं।