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Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस करेंगी कर्नाटक नीति का इस्तेमाल, चुनाव से पहले बनाई यह रणनीति

 
Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस करेंगी कर्नाटक नीति का इस्तेमाल, चुनाव से पहले बनाई यह रणनीति

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुछ ही समय शेष रहा है। ऐसे में अब कांग्रेस चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई है। कांग्रेस ने कर्नाटक के सहारे राजस्थान का रण जीतने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य सरकार का काम, सीएम अशोक गहलोत की छवि और कर्नाटक का घोषणा पत्र, यही तीन टूल राजस्थान में कांग्रेस लागू करने वाली है। पार्टी को भरोसा है कि वह राजस्थान के इतिहास को ब्रेक करके दोबारा अपनी पार्टी की सरकार बनाने में कामयाब होगी। जिस एजेंसी ने कर्नाटक में कांग्रेस का कैंपेन मैनेज किया है, वह राजस्थान सरकार के लिए पहले से काम कर रही है। गहलोत सरकार के अंतिम बजट के लिए भी इसी कंपनी ने कैम्पेन डिजायन किया था, जो राज्य के अलग-अलग हिस्सों में देखा भी गया. बचत, राहत, बढ़त कैच वर्ड के साथ सीएम गहलोत की तस्वीर और बजट की तारीख की घोषणा इस कैम्पेन के माध्यम से की गयी थी। 

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इन दिनों राजस्थान में मंहगाई राहत कैंप लगाने में भी इसी कंपनी ने मदद की है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इन कैंपों का इस्तेमाल ब्रांडिंग में करने वाली है, इसीलिए सीएम लगातार इन राहत कैंपों में गए हैं, लोगों से मिले हैं। इस शिविरों में विभिन्न सरकारी योजनाओं के राहत कार्ड बनाए जा रहे हैं। अब जब कर्नाटक में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिल चुका है तो स्वाभाविक दावेदारी उस एजेंसी की बनती है, जिसने जीत में भूमिका निभाई है। इसीलिए कहा जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत राजस्थान चुनावों में कर्नाटक की रीति-नीति अपनाने वाले हैं। यह एजेंसी गहलोत सरकार के काम की ब्रांडिंग पहले से ही करती आ रही है, ऐसे में उसके लिए संभावनाएं हैं। उस पर गहलोत पहले से भरोसा कर रहे हैं, अब तो कांग्रेस पार्टी ने भी भरोसा कर लिया है। 

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इसीलिए कर्नाटक का परिणाम आने के बाद फैसला यह हुआ कि यही एजेंसी पूरे कैम्पेन की प्लानिंग और उसे जमीन पर उतारने का काम करेगी। सीएम अशोक गहलोत किसी भी सूरत में सरकार की वापसी चाहते हैं। यह चुनाव उनके लिए विशेष प्रतिष्ठा का बन चुका है। वे किसी भी सूरत में इसे दोबारा जीतना चाहते हैं। वे राजस्थान में एक बार कांग्रेस तो अगली बार भाजपा वाली छवि को भी तोड़ना चाहते हैं। गहलोत के लिए यह चुनाव इसलिए नाक का सवाल हो गया है क्योंकि शुरुआती दिनों में उनके डिप्टी रहे सचिन पायलट आए दिन सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. धरना, पदयात्रा, बयान जैसी चीजों से सचिन अपनी ही सरकार और सीएम को असहज करते आ रहे हैं। सीएम गहलोत चाहते हैं कि अगर सरकार दोबारा बनाने में कामयाबी मिली तो कई फायदे एक साथ होंगे। एक तो राजस्थान की यह छवि टूट जाएगी, जिसमें एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बनती है तो, दूसरा फायदा यह होगा कि सचिन पायलट का कद और छोटा दिखने लगेगा।