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Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी बीजेपी, पूर्व सीएम वसुधंरा राजे चुनावों को लेकर हुई एक्टिव

 
Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी बीजेपी, पूर्व सीएम वसुधंरा राजे चुनावों को लेकर हुई एक्टिव

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में इस साल दिसबंर माह विधानसभा के चुनाव होने वाले है और पीएम नरेंद्र मोदी के भीलवाड़ा दौरा के साथ राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी अब तैयारिया में जुट गई है। पार्टी के अंदर चल रही खींचतान और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर गुटबाजी पर पार्टी आलाकमान पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत दे चुका है। पीएम मोदी की नसीहत के चलते कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही पार्टी की गतिविधियों से दूर रहने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चेहरा पार्टी के पोस्टर पर दिखने लगा है। कांग्रेस में जहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच खींचतान है, तो वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे और सतीश पूनियां गुट में आपसी खींचतान है। हालांकि वरिष्ठ नेताओं के तरफ से इसे कम करने की कोशिश हो रही है।

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ऐसे में विरोधी गुट को पार्टी की अहम जिम्मेदारियां सौंप कर मनाया भी जा सकता है। क्योंकि पार्टी के एक धड़े का मानना है कि वसुंधरा राजे के अलावा कोई बड़ा चेहरा पार्टी के पास नहीं है। हालांकि 16 और 17 जनवरी को दिल्ली में हुई बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में पीएम मोदी ने साफ तौर पर गुटबाजी से दूर रहने की नसीहत पहले ही दे दी थी। चुनाव नजदीक आते ही वसुंधरा राजे सोशल मीडिया पर फिर से सक्रिय हुई है। डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को धरने पर समर्थन देना इसकी ही एक पहल की तरह देखा जा सकता है। मामले पर राजे ने ट्वीट कर कहा था कि वो राजस्थान में पेपर लीक मामले में किरोड़ी लाल मीणा के साथ हैं।

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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थक गुट का मानना है कि पार्टी के पास उनसे बड़ा चेहरा नहीं है, तो वहीं सतीश पूनियां और गजेंद्र सिंह शेखावत पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव में उतरने की मांग कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में 25 सीटों को कब्जा चुकी बीजेपी के लिए राजस्थान में पार्टी की ये गुटबाजी मंहगी ना पड़ जाए इसके लिए फैसले आने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर लिए जाएंगे। वहीं पार्टी के अंदर इतनी गुटबाजी हो चुकी है कि जेपी नड्डा की जयपुर में हुई सभा के दौरान ही कुर्सियां खाली रह गयी थी। वक्त रहते अगर बीजेपी ने असंतुष्टों को नहीं मनाया तो चुनावों में इसका असर महंगा पड़ सकता है।