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Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनावों से पहले फिर उठने लगी जातिगत मतगणना की मांग, जाने इससे किसे मिलेगा लाभ

 
Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनावों से पहले फिर उठने लगी जातिगत मतगणना की मांग, जाने इससे किसे मिलेगा लाभ

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में इस साल विधानसभा के चुनाव होने वाले है और इस वक्त सभी पार्टिया व नेता इसकी रणनीति बनाने में लगी है। इसी बीच राजस्थान में एक बार फिर जातिगत मतगणना की मांग उठने लगी है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी और डूंगरपुर के चौरासी से विधायक राजकुमार रोत ने ये मांग उठाई है। हरीश चौधरी ने कहा कि 1931 के बाद आज तक जातिगत गणना नहीं हुई है। 2001 में केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया था। फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने जातिगत जनगणना को रोक दिया। जातिगत जनगणना से किसी वर्ग या जाति को कोई नुकसान नहीं होता है।

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कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि 2011 में कांग्रेस की सरकार ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया लेकिन बाद में जब 2014 में मोदी सरकार आई तो उसे रोक दिया है। आयोग गठन की बात कही गई लेकिन उस पर भी आज तक कुछ नहीं हुआ है। 40 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक भी पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति नहीं है। केंद्र सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं है। बिहार की तर्ज पर राजस्थान सरकार भी अपने स्तर पर जातिगत जनगणना कराए। बता दें कि विधायक हरीश चौधरी लंबे समय से अशोक गहलोत सरकार से लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे है। ओबीसी वर्ग की मांगों को सबसे ज्यादा उठा रहे है। पहले भूतपूर्व सैनिकों के मुद्दे पर आरक्षण में हो रहे नुकसान को लेकर आंदोलन चलाया है। अब ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग उठाई है।

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राजस्थान विधानसभा में हरीश चौधरी ने ओबीसी आरक्षण का मुद्दा भी उठाया है। हरीश चौधरी ने कहा कि हम अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए यहां आए है। सिर्फ फोटो खिंचवाने और छपवाने के लिए नहीं। उन्होनें राजेंद्र राठौड़ का नाम लेते हुए कहा कि वो आज भी हम पर आरोप लगाते है। उस पर सीबीआई जांच हुई, फैसला जो भी आएगा। लेकिन मूल मुद्दे से सवाल नहीं भटकना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के 50 प्रतिशत के कैप की वजह से ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है। इस पर राजस्थान सरकार और विधानसभा को चर्चा करनी चाहिए।