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lumpy virus infection: राजस्थान में बढ़ता लंपी वायरस का कहर, प्रदेश के 24 जिलों में फैला पशुओं में यह घातक रोग

 
lumpy virus infection: राजस्थान में बढ़ता लंपी वायरस का कहर, प्रदेश के 24 जिलों में फैला में पशुओं में यह घातक रोग

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में कोरोना संक्रमण के बाद अब पशुओं जिसमें विशेषकर गायों में पाकिस्तान से फैले लंपी वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। वहीं लंपी स्किन रोग को लेकर पशुपालन विभाग ही प्रदेश के पशुपालकों को अंधेरे में रख रहा है।  दौसा समेत पूर्वी राजस्थान के जिलों में लंपी स्किन रोग नहीं माना जा रहा है।  जबकि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दौसा में इस बीमारी ने 9 दिन पहले ही कदम रख दिए थे। 

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16 अगस्त यानी मंगलवार को जारी पशुपालन विभाग के आंकड़ों में लिखा है कि प्रदेश में अब तक चार लाख 51 हजार 186 पशु लंपी स्किन बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं।  बीमार पशुओं के साथ ही जिलों की संख्या पर भी में साफ लिखा है कि यह रोग अभी प्रदेश के 24 जिलों में ही फैला है।  पशुपालन विभाग ने प्रभावित जिलों के जो नाम लिखे हुए हैं, उनकी कुल संख्या 25 दर्शाई है, लेकिन चूंकि कुचामन सिटी नागौर जिले का हिस्सा है, ऐसे में विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी यह रोग 24 जिलों में ही फैला है।  चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, अलवर और बांसवाड़ा आदि जिलों में तो 100 से भी कम पशुओं में रोग होने की बात कही गई है।  इसके अलावा पूर्वी राजस्थान के ज्यादातर जिलों को इस रोग से मुक्त माना जा रहा है।  पशुपालन विभाग के अधिकृत आंकड़े कहते हैं कि भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर आदि जिलों में एक भी पशु इस बीमारी से ग्रसित नहीं है।  लेकिन वास्तव में पशुपालन विभाग के ये आंकड़े केवल कागजी हैं।  क्योंकि हाल ही में जब दौसा की जिला रोग निदान प्रयोगशाला ने 2 जगहों से सैम्पल लेकर जांच के लिए भोपाल भिजवाए, तो इनमें पशुओं में लंपी स्किन रोग की पुष्टि हुई है। 

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दौसा समेत प्रदेश में दूसरे जिलों में अभी तक पशुपालक इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि उनके जिले में यह बीमारी नहीं फैली है।  ऐसे में पशुपालक बीमारी को लेकर जागरुकता के उपाय भी नहीं कर रहे हैं।  ऐसे में पशुपालकों को अंधेरे में रखकर विभाग खुद ही उन्हें इस महामारी की विभीषिका में झोंक रहा है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक प्रदेश में करीब साढ़े चार लाख गौवंश इस बीमारी से पीड़ित हैं, जबकि विभागीय सूत्रों की मानें तो वास्तविक आंकड़ा इससे बहुत ज्यादा है। कई जिलों में बीमार पशुओं की संख्या लाख तक भी पहुंच चुकी है।