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Gulab Chand Kataria: नेता प्रतिपक्ष से गुलाब चंद कटारिया बने असम के राज्यपाल, बीजेपी राजस्थान की ओर से दी गई भावभीनी विदाई

 
Gulab Chand Kataria: नेता प्रतिपक्ष से गुलाब चंद कटारिया बने असम के राज्यपाल, बीजेपी राजस्थान की ओर से दी गई भावभीनी विदाई

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया अब असम राज्य के राज्यपाल बन गए हैं लेकिन कटारिया ने कहा कि उन्हें महामहिम की जगह 'भाई साहब' शब्द ही कर्णप्रिय और आत्मिक लगता है। गुलाब चंद कटारिया ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से कहा कि नेता बनाने से ज्यादा राष्ट्र उन्नति के लिए काम करें। गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि नेता खुद को बड़ा समझने का भ्रम नहीं पालें। नेता जनता के सेवक है, जनता के मालिक नहीं है। कार्यकर्ता छोटा नहीं होता है, कार्यकर्ता के कारण ही नेता बड़े होते हैं। बनाने वाला माई बाप यही कार्यकर्ता है जिसने पार्टी को मजबूत करने के लिए अपना जीवन लगा दिया। लाखों कार्यकर्ताओं के कारण ही पार्टी को आज दुनिया में नंबर 1 बनाया है।

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असम का राज्यपाल मनोनीत किया जाने के बाद गुलाबचंद कटारिया को बीजेपी राजस्थान की ओर से भावभीनी विदाई दी गई है। बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि समर्पण उन लोगों का था, जिन्होंने अपने आपको पार्टी के लिए खपा दिया। हजारों कार्यकर्ता है जो मेरे से ज्यादा योग्य हैं, उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला है। इस कारण वह पार्टी में कमजोर कार्यकर्ता नहीं, बल्कि उस कार्यकर्ता के समर्पण ने ही पार्टी को नरेंद्र मोदी देने का प्रयास किया है। गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कभी-कभी हम सोचते हैं कि टिकट मिला ही नहीं, लेकिन भाग्य से टिकट मिलता है, मांगने से नहीं मिलता है। कार्यकर्ता का ध्यान रखें कि हम चले देश बनाने के लिए नेता बनाने के लिए नहीं है।

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विदाई समारोह में गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि आदमी पद से बड़ा नहीं होता, गलतफहमी पालना छोड़ दे, वह तब तक बड़ा है। जब पद पर बने रहता है। आदमी अपने काम से बड़ा होता है। अपने व्यवहार गुण और आचरण से बड़ा होता है। हम किसी से पार्टी से तनखा प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि देश बनाने के लिए आए हैं। हमारे लिए पूजनीय वह कार्यकर्ता है जो अपनी पूरी ताकत के साथ पार्टी को खड़ा करने में लगा हुआ है। मै संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए आप लोगों के काम कर पाऊंगा। ईश्वर से यही कामना करनी चाहिए कि जितना पेट भर जाए, उतना दे। इससे अधिक जनता के धन का अपव्यय है।