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Rajasthan Politics News : जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बोले सचिन पायलट, कहा— अगर मतभेद हों तो एक दूसरे को सुनना चाहिए

 
Rajasthan Politics News : जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बोले सचिन पायलट, कहा— अगर मतभेद हों तो एक दूसरे को सुनना चाहिए

जयपुर न्यूज डेस्क।आगामी विधानसभा चुनाव 2023 से पहले अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही है। पिछले कुछ दिन से अपनी ही सरकार पर निशाना साध रहे सचिन पायलट आज जयपुर में चल रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल में शामिल हुए है। वहां उन्होंने इस तरह के आयोजन को राजस्थान के लिए गर्व की बात बताया है। साथ अपने ऊपर हो रहे निजी हमलों के सवाल पर कांग्रेस के इस दिग्गज नेता ने कहा कि आज संवाद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें लोगों की असहमतियों को भी शालीनता से समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर मतभेद हों तो एक दूसरे को सुनना चाहिए।

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जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल में पहुंचे सचिन पायलट ने कहा कि यहां अच्छे माहौल में विचारों का आदान-प्रदान होता है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल यह कोरोना की वजह से नहीं हो पाया था। लेकिन अब यह हो रहा है। इसमें पूरी दुनिया से लोग शामिल हो रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि जयपुर के अंदर इस प्रकार का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन अब इतना मशहूर हो गया है कि पूरी दुनिया की नजरें इस पर रहती हैं। यहां पर बहुत से नौजवान और लोग आते हैं और यहां हो रही चर्चाओं को सुनते हैं। यह इस तरह के उत्सवों की बड़ी खूबी हैं।

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इस दौरान अपने ऊपर हो रहे व्यक्तिगत हमलों के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि जो इश्यू हैं, वे बड़े प्रासंगिक हैं। कई बार विवादित भी होते हैं, लेकिन मुझे लगता है जरूरत है संवाद की, उन्हें समझने की। अगर किसी की असहमति भी है तो, उसे शालीनता से प्रकट करें। उसे सुने। यही हमारे लोकतंत्र, समाज और देश की खूबी है कि अगर एक-दूसरे से मतभेद भी हों तो बैठकर एक दूसरे के विचारों को सुनें। असहमति व्यक्त करने का अधिकार सबको है। यह सब खुले मन और खुले मंच से हो, यह बहुत जरूरी है।

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उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मुझे प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जाने का मौका मिला है। मुझे किसान सम्मेलनों में आमंत्रित किया गया था। इन सम्मेलनों में मैने किसानों की बात उठाई है। मैं समझता हूं कि किसान इस देश की रीढ की हड्डी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों से कुछ वादे किए थे, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है। इसलिए हर किसान सम्मेलन में यह प्रस्ताव पास किया गया कि सरकार किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराए और एमएसपी पर कानून बनाए।