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Rajasthan Politics: भाजपा अब मिशन 2023 में पूरी तरह से जुटी, एक दर्जन के करीब निष्क्रिय जिला अध्यक्षों को बदलने की तैयारी

 
Rajasthan Politics: भाजपा अब मिशन 2023 में पूरी तरह से जुटी,  एक दर्जन के करीब निष्क्रिय जिला अध्यक्षों को बदलने की तैयारी

जयपुर न्यूज डेस्क। प्रदेश भाजपा अब मिशन 2023 में पूरी तरह से जुट गई है। जहां एक और सरकार की नाकामी को लेकर बीजेपी सड़कों पर है, वहीं दूसरी ओर पार्टी अपने संगठन में भी बड़े बदलाव की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो दीपावली के बाद बीजेपी करीब एक दर्जन निष्क्रिय जिला अध्यक्षों को बदलने जा रही है। हालांकि ये बदलाव दीपावली से पहले होना था, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जीपी नड्डा के कोटा कार्यक्रम के बीच इस बदलाव को रोक दिया गया था। 

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बीजेपी का मिशन 2023: -

दिसंबर 2023 में बीजेपी सत्ता में वापसी करना चाह रही है। इसके लिए बीजेपी अपनी तैयारियों में जुटी है। जहां एक और सरकार की नाकामियों को लेकर बीजेपी पूरे 1 साल तक विशेष अभियान चलाएगी। वहीं निष्क्रिय रहने वाले पार्टी के पदाधिकारियों को भी बदला जाएगा। बीजेपी किसी भी तरह से यह जोखिम लेने को तैयार नहीं है कि कोई भी जिला किसी भी रूप में संगठन के लिए कमजोर पड़े। यही वजह है कि बीजेपी लगातार सभी जिलों की मॉनिटरिंग कर रही है। इसी के आधार पर बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी की जा रही है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश स्तर पर बीजेपी ने सभी 33 जिलों के जिला अध्यक्षों की कार्यशैली का एक रिपोर्ट कार्ड तैयार कर लिया है। इसी परफॉर्मेंस के आधार पर यह देखा जा रहा है कि कितने जिला अध्यक्ष ऐसे हैं जो निष्क्रिय हैं। सूत्रों की मानें तो करीब एक दर्जन जिला अध्यक्षों की छुट्टी दिवाली के बाद लगभग तय है। इन जिलों में लगातार जिला अध्यक्षों की निष्क्रियता सामने आ रही है या यह जिला अध्यक्ष पार्टी में कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे हैं। 

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पार्टी लगातार जिला अध्यक्षों की मॉनिटरिंग कर रही है कि कौन सा जिला अध्यक्ष अपने जिले में पार्टी की ओर से मिलने वाले कार्यक्रमों और निर्देशों को लेकर गंभीर नहीं है। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि किस जिला अध्यक्ष का जिले में ज्यादा विरोध है। खास बात यह है कि कुछ जिलों में जिला अध्यक्ष विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। ऐसे में वह सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पार्टी का मानना है कि जब जिला अध्यक्ष को चुनाव लड़ना है तो वह संगठन के लिहाज से काम नहीं कर सकता है। ऐसे में जो जिला अध्यक्ष चुनाव लड़ना चाहते हैं उनको भी बदला जा सकता है।

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बता दे कि दिसंबर में गहलोत सरकार अपने शासन के चार साल पूरे होने का बड़े स्तर पर जश्न मनाने की तैयारी कर रही है। सरकार की 4 साल की वर्षगांठ पर बीजेपी प्रदेश स्तर पर सरकार की नाकामी को आम जनता तक पहुंचाने की रणनीति बना रही है। पार्टी की ओर से सरकार की वर्षगांठ पर 1 सप्ताह तक लगातार अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए सरकार की नाकामी को जनता तक पहुंचाया जाएगा। पार्टी चाहती है कि सरकार की इस वर्षगांठ पर होने वाले विरोध कार्यक्रमों को मजबूती के साथ किया जाए ताकि आने वाले चुनाव में पार्टी को इसका लाभ मिल सके। यही वजह है कि पार्टी दिसंबर से पहले ही करीब एक दर्जन निष्क्रिय जिला अध्यक्षों को बदल देगी।