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Rajasthan Breaking News: बारिश के मौसम में बढ़ सकती बिजली की परेशानी, कोयला खरीद से उपभोक्ता पर बढ़ेगा अतिरिक्त भार

 
Rajasthan Breaking News: बारिश के मौसम में बढ़ सकती बिजली की परेशानी, कोयला खरीद से उपभोक्ता पर बढ़ेगा अतिरिक्त भार

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान की बड़ी खबर में आपको बता दें कि कोयले की कमी से उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। इसके चलते प्रदेशभर में घोषित और अघोषित बिजली कटौती की जा रहीं है। वर्तमान में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की कोयला आधारित 4,970 मेगावाट क्षमता की इकाइयां संचालित हैं। प्रदेश के थर्मल पावर स्टेशन की विद्युत उत्पादन क्षमता 10,110 मेगावाट है। इनमें से 2610 मेगावॉट की 6 यूनिट तकनीकी कारणों और मेटीनेंस के चलते भी बंद हैं। साथ कोयले की कमी के चलते कई यूनिट बंद पड़ी है।

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विद्युत विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में इस वर्ष अप्रैल और मई माह में अत्यधिक गर्मी के चलते विद्युत मांग गत 38 वर्षों की तुलना में सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम द्वारा वर्ष 2020-21 में 29141 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया एवं वर्ष 2021-22 में 34287.28 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया। वहीं, राजस्थान में इस वक्त कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहरा रहा है। वहीं, मानसून के मौसम में कोयला खदानों में पानी भर जाने से अभी निकलने वाला कोयला भी नहीं निकल पायेंगा। ऐसे में मानसून के मौसम में बिजली संकट अधिक गहरा सकता है।

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राजस्थान में कोयले की सप्लाई का संकट होने के कारण भी बिजली प्रोडक्शन पर नेगेटिव असर पड़ रहा है। प्रदेश में कोल बेस्ड पावर प्लांट्स यूनिट्स की कुल कैपेसिटी 7580 मेगावाट है। इनसे बिजली प्रोडक्शन के लिए रोजाना 27 रैक कोयले की सप्लाई जरूरी है। पूरा कोयला नहीं मिल पाने के कारण फुल कैपेसिटी पर प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है. वर्तमान में 20 रैक प्रतिदिन पहुंच रही है, मानसून सीजन के लिए भी कोयला रिजर्व करना आवश्यक है। कोयले की कमी और तकनीकी दिक्कतों के कारण भी कई यूनिट्स बंद पड़ी हैं। मौजूदा समय में निगम की कोयला बेस्ड 5360 मेगावाट कैपेसिटी की कुल 17 यूनिट्स ही चल रही हैं। ऐसे में बारिश के मौसम में बिजली की परेशानी बढ़ सकती है।


कोयला संकट के दौर में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए 10 फीसदी विदेशी कोयला खरीदना अनिवार्य किया है। पहले 4 फीसदी ही विदेशों से इम्पोर्टेड कोयला खरीदना जरूरी था। नए बदलाव से राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों पर बड़ा वित्तीय भार आने वाला ह।. इसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि इम्पोर्टेड कोयले के कारण आम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को देखते हुए केंद्र सरकार इस अनिवार्यता को हटाए।

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सूत्रों के मुताबिक, अगर राज्य सरकार महंगा विदेशी कोयला इम्पोर्ट करेगी तो 1 रुपये यूनिट तक बिजली महंगी हो सकती है। फ्यूल सरचार्ज में बढ़ोतरी कर इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जा सकती है। फ्यूल सरचार्ज में थर्मल पावर प्लांट्स का फ्यूल यानी कोयले की खरीद रेट और उसे प्रदेश तक लाने के लिए लगने वाले सभी तरह के खर्चे, किराया, माल-भाड़ा शामिल होते हैं।