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Rajasthan Breaking News: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बंगला देने से जुड़ी अवमानना याचिका को किया खारिज

 
Rajasthan Breaking News: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बंगला देने से जुड़ी अवमानना याचिका को किया खारिज

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान की इस वक्त की बड़ी खबर में राजस्थान हाईकोर्ट की तरफ से सामने आई है। जिसमें एक हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को बंगला देने से जुड़ी अवमानना याचिका को  खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने बंगला व अन्य सुविधाएं देने से जुड़े मामले में आज एक अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने मिलापचंद डांडिया की अवमानना याचिका पर फैसला सुनाया है।  कोर्ट ने कहा कि मामले में जानबूझकर अवमानना नहीं हुई है। याचिका में 4 सितंबर 2019 से 17 अगस्त 2020 की अवधि का किराया नियमानुसार प्रतिदिन 10 हजार वसूले जाने की गुहार की थी।

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आज राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश मिलापचन्द डांडिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि मामले में जानबूझकर अवमानना नहीं हुई है। खंडपीठ ने गत 8 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था और आज इस पर अपना फैसला सुनाया है। अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट ने 4 सितंबर, 2019 को आदेश जारी कर राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया था, जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया था। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी को खारिज कर दिया था। अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाडिया ने सुविधाएं लौटाकर बंगला खाली कर दिया था। वहीं, पूर्व सीएम राजे ने सिर्फ सुविधाएं लौटाई थी और बंगला खाली नहीं किया था।

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वहीं, राज्य सरकार ने 2 अगस्त 2019 को प्रावधान किया था कि तय अवधि में आवास खाली नहीं करने पर संबंधित मंत्री को प्रतिदिन दस हजार रुपए का हर्जाना देना होगा। ऐसे में अदालती आदेश 4 सितंबर 2019 से 17 अगस्त 2020 तक की अवधि में बंगले का उपयोग करने पर पूर्व सीएम राजे से हर्जाना क्यों नहीं वसूल किया गया। वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राजे को वरिष्ठ विधायक के नाते आवास दिया गया है। इसमें अदालती आदेश की अवमानना नहीं हुई है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है।