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Rajasthan Breaking News: रामगढ़ विषधारी अभयारण्य देश का 52वां और प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित, नोटिफिकेशन हुआ जारी

 
Rajasthan Breaking News: रामगढ़ विषधारी अभयारण्य देश का 52वां और प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित, नोटिफिकेशन हुआ जारी

बूंदी न्यूज डेस्क। राजस्थान की इस वक्त की बड़ी खबर में आपको बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2021 में बजट घोषणा की गई थी, उसके बाद एक साल में ही राज्य सरकार द्वारा जिले के रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य के टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन जारी कर प्रदेश वासियों को सौगात दी है। राजस्थान के बूंदी राजघराने के वक्त यहां सैंकड़ो टाइगर जंगल में रहते थे, लेकिन समय में बदलाव के बाद यहां से टाइगर धीरे-धीरे जंगल से लुप्त हो गए। उसके बाद रणथंभौर और सरिस्का में टाइगर अभ्यारण्य बनाया गया।

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लेकिन अब राजस्थान सरकार ने एक बार फिर बूंदी के रामगढ़ ​विषधारी को टाइगर रिजर्व घोषित कर इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। ऐसे में रामगढ़ विषधारी अभयारण्य देश 52वां और राज्य 4 नया टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है। हालांकि इस घोषणा का केशवराय पाटन विधायक चंदकांता मेघवाल ने विरोध जताया उनका कहना था कि अभ्यारण्य घोषित होने के बाद गांव-गांव में विकास रुक जाएगा। ग्रामीण अपने निर्माण समंधित कई कार्यो में विभाग के नियम पूरे नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि क्षेत्र का दायरा आबादी को छोड़कर बनाए जाना चाहिए।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2021 में रामगढ़ अभ्यारण को बनाए जाने की घोषणा की थी. उसके बाद राज्य मंत्री अशोक चांदना ने इस मुहिम को आगे बढ़ाया है। इस रामगढ़ अभ्यारण्य को घोषित करवाने में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने भी अपने-अपने प्रयास किए है। इनके अलावा वन्यजीव प्रतिपालक बिट्ठल सनाढ्य पृथ्वी सिंह राजावत पर्यटन व्यवसाय भंवर सिंह भी जुटे रहे है। 

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रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की खासियत इसका पारिस्थितिकी तंत्र और बाघों के अनुकूल वातावरण है। साथ हीं, यह संरक्षित क्षेत्र भेड़िया, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भालू, सुनहरे सियार, चिंकारा, नीलगाय और लोमड़ी जैसे जंगली जानवरों का आदर्श निवास स्थल भी है। यह अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों के लिए ही नहीं, अपितु देश विदेश से आने वाले सैलानियों के लिए भी वरदान साबित होगा। रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य के टाइगर रिजर्व घोषित होने से जिले के पर्यटन विकास को पंख लगेंगे। साथ हीं, अनुसंधान और शिक्षा के लिए भी अनेक नए मार्ग खुलेंगे. इसके अलावा भीमलत, रामगढ़ महल जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देंगे और स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका अर्जित करने में भी खासी मदद मिलेगी।