National Culture Festival 2023 : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का एक दिवसीय बीकानेर दौरा,14वें राष्ट्रीय संस्कृतिक महोत्सव का किया उद्घाटन
बीकानेर न्यूज डेस्क। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक दिवसीय दौरे पर राजस्थान आईं है। यहां बीकानेर के डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन किया है। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नगाड़ा बजाकर महोत्सव को आनंदमय बनाया है। लोक कलाकारों की कला को सराहा. सांस्कृतिक केंद्रों के आंगन का अवलोकन किया है। सांस्कृतिक मंच से प्रकृति प्रेम का संदेश दिया. राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला भी साथ रहे है।
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हम सब को भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परम्पराओं में, नए विचारों और नयी सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परम्पराओं से जोड़ सकते हैं। pic.twitter.com/u0MO28iazg
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 27, 2023
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के उद्घाटन कार्यकर्म के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत की कला शैली प्राचीन काल से ही उच्च स्तरीय रही है। सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही नृत्य, संगीत, चित्रकारी, वास्तुकला जैसी अनेक कलाएं भारत में विकसित थी. भारतीय संस्कृति में अध्यात्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संस्कृति की अद्भुत रचना कला का महत्वपूर्ण उदाहरण है। नदी का मधुर संगीत हो या मयूर का मनमोहक नृत्य, कोयल का गीत हो, मां की लोरी या नन्हे से बच्चे की बाल लीला हो, हमारे चारों ओर कला की सुगंध फैली हुई है। हम सब को भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परंपराओं में, नए विचारों और नई सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परंपराओं से जोड़ सकते हैं।
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आप सब को मिलकर ऐसे उपाय और तकनीक निकालनी होगी जिससे आज के लोग, ख़ासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कला-संस्कृति को समझने और सीखने के लिए प्रयास करें तथा निपुणता के लिए अभ्यास करते रहें। pic.twitter.com/Agnn8YwqJE
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राष्ट्रपति ने मुर्मू ने आगे कहा कि सभी को मिलकर ऐसे उपाय और तकनीक निकालनी होगी जिससे आज के लोग, खासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कला-संस्कृति को समझने और सीखने के लिए प्रयास करें तथा निपुणता के लिए अभ्यास करते रहें। कला शैली, रहन-सहन का ढंग, वेशभूषा, खान-पान सब में समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिए, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति का परंपरा और कला का विज्ञान से मेल जरूरी है। कला एवं संस्कृति के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग आवश्यक है। इंटरनेट के माध्यम से हमारी कला को लाभ मिला है। उन्होंने संदेश दिया कि हमें अपनी समृद्ध और संपन्न संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।
