Rajasthan Breaking News: कांग्रेस के नव संकल्प चिंतन शिविर में चिदंबरम का बड़ा बयान— बीजेपी के राज में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर
उदयपुर न्यूज डेस्क। आज उदयपुर में कांग्रेस नव संकल्प चिंतन शिविर का दूसरा दिन है और ऐसे में इस शिविर में शामिल हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का एक बड़ा बयान सामने आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने आज कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है और पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान रही है। चिदंबरम ने जीएसटी के बकाये का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच के राजकोषीय संबंधों की समग्र समीक्षा की जाए।
WATCH: Special Congress Party Briefing by Shri @PChidambaram_IN, Smt. @SupriyaShrinate & Prof. @GouravVallabh at the AICC Media Center, Udaipur. https://t.co/eWpjd6c2GX
— Rajasthan PCC (@INCRajasthan) May 14, 2022
देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से बातचीत में यह कहा है कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि उदारीकरण के 30 साल के बाद अब आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने पर विचार किया जाए। चिदंबरम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान बन रही है।
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चिदंबरम ने वस्तु एवं सेवा कर के बकाये का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच के राजकोषीय संबंधों की समग्र समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि उदारीकरण के 30 वर्षों के बाद यह महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों को देखते हुए आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने के बारे में विचार करने की जरूरत है।

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने बताया है कि भारत सरकार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी पर महंगाई का ठीकरा नहीं फोड़ सकती है। महंगाई में बढ़ोतरी यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के पहले से हो रही है। गेहूं के निर्यात पर रोक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि केंद्र सरकार पर्याप्त गेहूं खरीदने में विफल रही है। यह एक किसान विरोधी कदम है और मुझे हैरानी नहीं है क्योंकि यह सरकार कभी भी किसान हितैषी नहीं रही है। किसानों पर थोपें जाने वाले तीन काले कानून इसका उदाहरण है। लेकिन किसानों ने उनको मानने से मना किया और इस सरकार के विरूद्ध लंबा आंदोलन किया।
