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Rajasthan Breaking News: कांग्रेस के नव संकल्प ​चिंतन शिविर में चिदंबरम का बड़ा बयान— बीजेपी के राज में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर

 
Rajasthan Breaking News: कांग्रेस के नव संकल्प ​चिंतन शिविर में चिदंबरम का बड़ा बयान— बीजेपी के राज में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर

उदयपुर न्यूज डेस्क। आज उदयपुर में कांग्रेस नव संकल्प चिंतन शिवि​र का दूसरा दिन है और ऐसे में इस शिविर में शामिल हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का एक बड़ा बयान सामने आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने आज कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है और पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान रही है। चिदंबरम ने जीएसटी के बकाये का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच के राजकोषीय संबंधों की समग्र समीक्षा की जाए।

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देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से बातचीत में यह कहा है कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि उदारीकरण के 30 साल के बाद अब आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने पर विचार किया जाए। चिदंबरम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। पिछले आठ वर्षों में धीमी आर्थिक विकास दर केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की पहचान बन रही है।

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चिदंबरम ने वस्तु एवं सेवा कर के बकाये का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्यों के बीच के राजकोषीय संबंधों की समग्र समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि उदारीकरण के 30 वर्षों के बाद यह महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक और स्थानीय घटनाक्रमों को देखते हुए आर्थिक नीतियों को फिर से तय करने के बारे में विचार करने की जरूरत है।

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पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने बताया है कि भारत सरकार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी पर महंगाई का ठीकरा नहीं फोड़ सकती है। महंगाई में बढ़ोतरी यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के पहले से हो रही है। गेहूं के निर्यात पर रोक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि केंद्र सरकार पर्याप्त गेहूं खरीदने में विफल रही है। यह एक किसान विरोधी कदम है और मुझे हैरानी नहीं है क्योंकि यह सरकार कभी भी किसान हितैषी नहीं रही है। किसानों पर थोपें जाने वाले तीन काले कानून इसका उदाहरण है। लेकिन किसानों ने उनको मानने से मना किया और इस सरकार के विरूद्ध लंबा आंदोलन किया।