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Sirohi के माउंट आबू में अचलगढ़ के पास पहाड़ी पर समुद्र तल से 1450 मीटर की ऊंचाई पर मां काली का प्राचीन मंदिर, 570 साल पहले गोपीचंद महाराज ने की थी तपस्या

 
Sirohi के माउंट आबू में अचलगढ़ के पास पहाड़ी पर समुद्र तल से 1450 मीटर की ऊंचाई पर मां काली का प्राचीन मंदिर, 570 साल पहले गोपीचंद महाराज ने की थी तपस्या

सिरोही न्यूज़ डेस्क,माउंट आबू से करीब 12 किमी दूर समुद्र तल से करीब 1450 मीटर की ऊंचाई पर अचलगढ़ के पहाड़ों के बीच में स्थित मां काली का मंदिर अपनी प्राचीन मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यहां मां काली भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुईं और जहां मां काली प्रकट हुईं, उसी शिला को मां का अवतार दिया गया है। नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्त मां काली के मंदिर में आते हैं और दर्शन करते हैं।

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नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मंदिर में अखंड ज्योति भी जलाई जाती है और विशेष पूजा की जाती है। मां चामुंडा का ऐसा ही एक बड़ा मंदिर भी इस मंदिर के पास स्थित है और यहां भी भक्त आते हैं। मंदिर में दाल और चूरमा के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही रात भर 9 दिनों तक भजन संध्या का कार्यक्रम भी होता है। नवरात्रि में मुख्य रूप से सप्तमी के दिन मां काली की विशेष पूजा की जाती है और भोग लगाया जाता है. भक्त पत्थर के ऊपर पत्थर रखते हैं और मां से मन्नत मांगते हैं।

मां चामुंडा और मां काली का मंदिर माउंट आबू शहर से 12 किमी की दूरी पर और समुद्र तल से लगभग 1450 मीटर की ऊंचाई पर उबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए मौजूद है। अचलगढ़ से करीब 2 किमी की दूरी पर पहाड़ों के बीच में चट्टानों और जंगल के बीच हरी-भरी घाटियों के बीच मां काली का मंदिर है। माउंट आबू से करीब 12 किमी, समुद्र तल से करीब 1450 मीटर की ऊंचाई पर अचलगढ़ से करीब 12 किमी. पहाड़ों के बीच में स्थित मां काली का मंदिर अपनी प्राचीन मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यहां मां काली भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुईं और जहां मां काली प्रकट हुईं, उसी शिला को मां का अवतार दिया गया है। नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्त मां काली के मंदिर में आते हैं और दर्शन करते हैं।

नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मंदिर में अखंड ज्योति भी जलाई जाती है और विशेष पूजा की जाती है। मां चामुंडा का ऐसा ही एक बड़ा मंदिर भी इस मंदिर के पास स्थित है और यहां भी भक्त आते हैं। मंदिर में दाल और चूरमा के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही रात भर 9 दिनों तक भजन संध्या का कार्यक्रम भी होता है। नवरात्रि में मुख्य रूप से सप्तमी के दिन मां काली की विशेष पूजा की जाती है और भोग लगाया जाता है. भक्त पत्थर के ऊपर पत्थर रखते हैं और मां से मन्नत मांगते हैं।

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मां चामुंडा और मां काली का मंदिर माउंट आबू शहर से 12 किमी की दूरी पर और समुद्र तल से लगभग 1450 मीटर की ऊंचाई पर उबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए मौजूद है। पर्यटन स्थल अचलगढ़ से लगभग 2 किमी की दूरी पर चट्टानों और जंगल से होकर गुजरने वाली हरी-भरी घाटियों के बीच पहाड़ियों के बीच में मां काली का मंदिर है।