Rajasthan Assembly Election 2023: बीजेपी ने मिशन 2023 की बिछाई बिसात, संगठन में इन मोर्चो पर किया जायेंगा बदलाव
जयपुर न्यूज डेस्क। आगामी विधानसभा 2023 को लेकर बीजेपी ने बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। बीजेपी अपने मिशन 2023 में सक्रिय पदाधिकारियों को ही मैदान में रखेगी। निष्क्रिय को पदों से हटाकर अन्य यथायोग्य जिम्मेदारी दी जाएगी। इसकी शुरुआत एसटी मोर्चे ने कर दी है। लेकिन मुख्य संगठन में भी कुछ पदाधिकारी ऐसे हैं जिनकी जगह दूसरे ले सकते हैं। भाजपा ने 2023 के चुनावों को लेकर कमर मज़बूत तरीके से कस ली है। भाजपा अब पदाधिकारियों की कार्य प्रणाली को लेकर मंथन करने में जुटी हैं।
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इस मंथन में योग्य और अयोग्य पदाधिकारियों की छटनी की तैयारी है। कारण साफ है कि मुख्य संगठन से लेकर अग्रिम मोर्चो से लेकर प्रकोष्ठ प्रकल्प और विभागों की जिम्मेदारी और टास्क पर पिछले करीब 2 साल से लगातार रिपोर्ट तैयार की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर सभी पदाधिकारियों का आंकलन कर रहे हैं कि इन्होंने अपने अपने कामों में कितना मज़बूती से काम किया है। दूसरी तरफ ये भी देखा जा रहा है कि कहीं किसी पदाधिकारी को उनकी रुचि के लिहाज के टास्क नहीं मिलने पर दूसरे अन्य रुचि के टास्क मिलने पर कितनी सफ़लता से काम कर सकेंगे।
एसटी मोर्चा ने प्रदेश के 4 जिलाध्यक्ष बदलकर शुरुआत की है तो इसी कड़ी में अन्य मोर्चे भी आगामी दिनों में बदलाव कर सकते हैं, तो दूसरी तरफ मुख्य संगठन में कुछ ऐसे पदाधिकारी और जिलाध्यक्ष हैं जो प्रदेश संगठन की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे हैं। हालांकि इस फेहरिस्त में कुछ को चुनाव लड़ना है तो अपने ही क्षेत्र को लेकर फोकस रखते हैं। बड़ा सवाल ये कि संगठन को यदि वो समय नहीं दे पा रहे तो अन्य काबिल कार्यकर्ता के अधिकार पर भी अतिक्रमण हो रहा है। पिछले दिनों प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने ऐसे संकेत दिए थे जिनमें साफ था कि कुछ बदलाव होने वाले हैं। लेकिन फिलहाल माना जा रहा है कि अमित शाह और जेपी नड्डा के दौरों के बाद ये फैसला हो।
भाजपा संगठन आगामी दिनों में पदाधिकारियों की संख्या में भी बढ़ोतरी कर सकता है। सूत्रों की मानें तो इसे लेकर आलाकमान से बात कर ली गई है बस अब महज हरी झंडी मिलने की प्रतीक्षा है। ऐसे सियासी जातीय गुणा भाग में कुछ उम्दा रणनीतिकारों की एंट्री हो सकती है। जहां कांग्रेस संगठन में अभी जिला अध्यक्षों पर ही फैसले नहीं हो रहे वहां बीजेपी अपने संगठन विस्तार करने के बाद निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर दूसरी जिम्मेदारी देने पर फोकस कर रही है, ऐसे में अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बीजेपी की 2023 की चुनाव की बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है।