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Rajasthan Politics News: पायलट के आरोप पर पूर्व सीएम राजे ने किया पलटवार, पूछा- क्या कभी दूध और नींबू रस आपस में मिल सकते हैं?

 
Rajasthan Politics News: पायलट के आरोप पर पूर्व सीएम राजे ने किया पलटवार, पूछा- क्या कभी दूध और नींबू रस आपस में मिल सकते हैं?

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में विधानसभा चुनावों के पहले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अनशन और सीएम गहलोत व वसुंधरा राजे के मिली भगत के आरोप के चलते प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के साथ मिलीभगत के आरोपों को लेकर सचिन पायलट पर पलटवार किया  है। उन्होंने कहा कि कई लोग जानबूझ कर एक ही झूठ बोलते आ रहे हैं कि वो तो मिले हुए हैं, उनमें तो मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि जिनसे सिद्धांत नहीं मिलते, जिनसे विचारधारा नहीं मिलती, जिनसे रोज-रोज अमर्यादित भाषा सुनने को मिलती हो, उनसे मिलीभगत कैसे संभव है। उन्होंने पूछा कि क्या कभी दूध और नींबू रस आपस में मिल सकते हैं?

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बता  दे कि वसुंधरा राजे गुरुवार को सूरतगढ़ दौरे पर विश्नोई समाज के मंदिर पहुंची थीं। इस कार्यक्रम में पूर्व सीएम ने इशारों ही इशारों में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा है। वसुंधरा ने कहा, 'विश्नोई समाज के 20वें नियम में हैं अहंकार का त्याग। जो न छोटों से सदव्यवहार करे और न बड़ों का सम्मान करे,हमारी पार्टी में ऐसा कोई नहीं है। राजे ने गहलोत सरकार के महंगाई राहत कैंप पर भी तंज कसा है।  उन्होंने कहा कि विश्नोई समाज का 10वां नियम है क्षमा, पर जो क्षमा करने योग्य ना हो, उसे क्षमा नहीं करना चाहिए। 12वां नियम है- चोरी नहीं करना और  भ्रष्टाचार एक किस्म की चोरी ही है, जहां बिना पैसे काम नहीं होते, वहां महंगाई कैसे कम होगी? लगाना ही है तो भ्रष्टाचार राहत कैंप लगाएं. महंगाई अपने आप कम हो जाएगी।  संपूर्ण समाज का जो भला कर सके, ऐसे लोगों का ही साथ दो, ताकि हम आपकी फिर से सेवा कर सकें। 

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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि हमारी सरकार ने क्षेत्र के किसानों के हितों को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि पूर्व बीजेपी की सरकार के कार्यकाल में आखिरी छोर पर बैठे किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया है। किसानों को अपनी गेहूं की फसल बेचने में आ रही दिक्कतों को दूर करने में सरकार को पहल करनी चाहिए। राज्य सरकार को चाहिए कि कोई भी नीति निर्माण आमजन से संवाद करने और उनकी सुविधा के अनुसार ही होने चाहिए। यह सब एक संवेदनशील जनप्रतिनिधि ही कर सकता है।