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Rajasthan Politics News: बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड ने विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव सौपा, सीएम सलाहकार पर लगाया यह आरोप

 
Rajasthan Politics News: बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड ने विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव सौपा, सीएम सलाहकार पर लगाया यह आरोप

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में इस वक्त विधानसभा बजट सत्र 2023 चल रहा है और आज सीएम गहलोत शाम को सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर अपना जवाब पेश करेंगे। इससे पहले आज उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जो विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का नोटिस राजस्थान विधानसभा के प्रमुख सचिव को सौंपा है उसमें विधानसभा प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 157, 158 के तहत प्रस्ताव दिया गया है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रस्ताव में लिखा है कि विधायक संयम लोढ़ा के प्रश्नगत आचरण से मेरा और इस सदन का विशेषाधिकार भंग हुआ है। 

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राजस्थान विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने 30 जनवरी 2023 को एक शपथ पत्र विधानसभा के रिकॉर्ड बाबत खुद की जानकारी और अध्यक्ष द्वारा उपलब्ध कराई गई मौखिक सूचना के आधार पर  दिया है कि संयम लोढ़ा ने अपने पांच अन्य साथी विधायकों महेश जोशी, महेंद्र चौधरी, शांति धारीवाल, रफीक खान और रामलाल जाट के साथ 25 सितम्बर 2022 को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष खुद उपस्थित होकर उन्हें खुद के अलावा सदन के 75 अन्य विधायकों के साइन किए हुए इस्तीफे सौंपे है। किसी भी विधायक को विधानसभा में उनकी सीट से त्यागपत्र देने का संवैधानिक अधिकार आर्टिकल 190 (3) (बी) के तहत मिला हुआ है। उन्हें अपनी इच्छे के खिलाफ सदस्य बने रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

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बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड़ ने प्रस्ताव में लिखा कि अगर सदन का कोई सदस्य अध्यक्ष को संबोधित अपने साइन सहित लेख द्वारा अपने स्थान का त्याग कर देता है, तो आर्टिकल 190 (3) (बी) के तहत उनका त्याग पत्र अध्यक्ष की ओर से स्वीकार करने के योग्य बन जाता है। लेकिन आर्टिकल 190 (3) (बी) के परन्तु के अनुसार ऐसा त्यागपत्र अगर प्राप्त जानकारी से या अन्यथा और ऐसी जांच करने के बाद जो वह ठीक समझे, अध्यक्ष को यह समाधान हो जाता है कि ऐसा इस्तीफा स्वैच्छिक या असली नहीं है, तो वह ऐसे त्यागपत्र को स्वीकार नहीं करेंगे। विधानसभा के नियम और प्रक्रियाओं के नियम 173 (2) के तहत व्यक्तिगत रूप से दिया गया त्याग पत्र अध्यक्ष द्वारा तुरंत स्वीकार किए जाने योग्य है। अगर अध्यक्ष को उस त्यागपत्र के स्वेच्छा और वास्तविक नहीं होने के संबंध में कोई सूचना या ज्ञान नहीं है।

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राजेंद्र राठौड़ ने अपने प्रस्ताव कहा कि विधायकों द्वारा त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं होने के कथन से खुद ही यह स्पष्ट होता है कि त्याग पत्र किसी बाहरी दबाव से दिए गए, जिसमें संयम लोढ़ा की मिलीभगत खुद ही दिखाई देती है। इसके पीछे संयम लोढ़ा की मंशा यह रही कि विधानसभा अध्यक्ष जबरन प्राप्त किए गए इस्तीफों और फोटो कॉपी इस्तीफों के आधार पर उन्हें स्वैच्छिक और वास्तविक और मूल दस्तावेज होने की गलत धारणा बना लें और ऐसे इस्तीफों के आधार पर सदस्यों को विधानसभा की सदस्यता से वंचित कर दें। इससे 75 विधायकों की ना केवल सार्वजनिक मानहानि हुई है बल्कि मानहानि के साथ जन अवमानना हुई है और उनके विशेषाधिकार का हनन हुआ है।