Ambedkar Jayanti 2023 : देश और प्रदेश में आज बाबा साहेब अंबेड़कर की मनाई जा रहीं जयंती, जाने अंबेडकर जयंती का इतिहास
जयपुर न्यूज डेस्क। बाबा साहेब डाॅ. भीमराव आंबेडकर की 14 अप्रैल को जयंती होती है। डाॅ. आंबेडकर को भारतीय संविधान निर्माता के तौर पर जाना जाता है। उनकी भूमिका संविधान निर्माण में तो अतुल्य थी ही, साथ ही दलित समाज के उत्थान में भी महत्वपूर्ण रही। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू में एक गांव में हुआ था। उस दौर में उन्हें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। बेहद विषम परिस्थितियों में पढ़ाई करने वाले बाबा साहेब ने स्कूल में भी भेदभाव का सामना किया। डाॅ. आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी सभी के लिए प्रेरणा है। उनके विचार महिलाओं को पुरुषों के बराबर, अल्पसंख्यकों और गरीबों को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।
बता दें कि डॉ. भीमराव अंबेडकर एक राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक थे जो कमजोर लोगों के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे है । उन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई और दलित समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। बाबा साहब शिक्षा के जरिए समाज के दबे, शोषित, कमजोर, मजदूर और महिला वर्ग को सशक्त बनाना चाहते थे और उनको समाज में एक बेहतर दर्जा दिलाना चाहते थे।
जाने अंबेडकर जयंती का इतिहास - :
पहली बार डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल, 1928 को पुणे में मनाई गयी थी. इसकी शुरुआत जनार्दन सदाशिव रणपिसे ने की थी जो अंबेडकर के एक प्रबल अनुयायी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने इस दिन को मनाने की परंपरा शुरू की थी जो अब तक लगातार जारी है. बता दें कि हर साल 14 अप्रैल को देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। अंबेडकर जयंती के जरिये वंचितों के उत्थान में बाबा साहब के योगदान को याद किया जाता है। अंबेडकर जयंती जाति आधारित कट्टरता की तरफ ध्यान केंद्रित करती है। जो आज के दौर में भी समाज में बनी हुई है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था। जो जाति और धर्म की परवाह न करते हुए सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है।
बाबा साहब ने किया था बहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन - :
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अछूतों और दलितों के बुनियादी अधिकारों और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय संस्था बहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन किया था। इतना ही नहीं उन्होंने दलितों को सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति और हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलवाने के लिए भी आंदोलन किया था। स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा, बौद्ध धर्म, विज्ञानवाद, मानवतावाद, सत्य, अहिंसा आदि के विषय अम्बेडकरवाद के सिद्धान्त रहे हैं।