Shri Krishna Janmashtami: राजस्थान में बने है भगवान श्रीकृष्ण के अनोखे मंदिर, जानें इन मंदिरों की खास बाते और विशेषता
जयपुर न्यूज डेस्क। आज प्रदेशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम दिखाई दे रहीं है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको राजस्थान के कुछ खास भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों के बारें में बता रहें है, जो पूरे देशभर में प्रसिद्ध है और उनकी विशेषता सबसे अलग है। आइए जाने राजस्थान के इन प्रसिद्ध मंदिरों की अनोखी बाते-
कुंज बिहारी मंदिर-जोधपुर का कुंज बिहारी मंदिर एक कलात्मक रूप से और वास्तुकला से बना हुआ एक सुंदर मंदिर है। इस मंदिर के द्वार पर भगवान कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मीरा बाई की मूर्ति है. कुंज बिहारी मंदिर घंटाघर बाजार के पास स्थित है।
गोविंद देव जी मंदिर-राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित गोविंद देव जी मंदिर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जानकारी के अनुसार, यह मंदिर वृंदावन के ठाकुर श्री कृष्ण के 7 मंदिरों में से एक है, जिसमें श्री बांके बिहारी जी, श्री गोविंद देव जी, श्री राधावल्लभ जी और चार अन्य मंदिर शामिल हैं। जन्माष्टमी पर यहां लाखों की संख्या में भक्त भगवान गोविंद के दर्शन करते हैं। इस मंदिर को सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपने परिवार के देवता के रूप में यहां पुनः स्थापित किया था और इनको जयपुर का आराध्यदेव कहा जाता है।
खाटू श्याम मंदिर -राजस्थान के सीकर में स्थित खाटू श्याम मंदिर कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। हिन्दू धर्म के अनुसार, खाटू श्याम बाबा को कलियुग का देवता कहा जाता है और भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कहते हैं कि श्याम बाबा से भक्त जो भी मांगता है, वो उन्हें लाखों-करोड़ों बार देते हैं, इसलिए खाटू श्याम को लखदातार के नाम से जाना जाता है।
सांवलिया सेठ मंदिर -यह गिरिधर गोपालजी का प्रसिद्ध मंदिर है। सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ के पास भादसोड़ा गांव में स्थित है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है, जिनका संबंध मीरा बाई से भी बताया जाता है। जानकारी के अनुसार, सांवलिया सेठ ही मीरा बाई के गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह दिन रात पूजा किया करती थीं। यहां के व्यापारी भगवान को अपना बिजनस पार्टनर बनाने आते हैं इसलिए यहां कृष्णा को बिजनस पार्टनर होने के कारण श्रद्धालु सेठ जी नाम से भी पुकारते हैं और वह यहां सांवलिया सेठ कहलाते हैं।
श्रीनाथजी मंदिर -राजसमंद के नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्रीनाथ जी के विग्रह को मूलरूप से भगवान कृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है। अरावली की गोद में बनास नदी के किनारे नाथद्वारा के प्रमुख वैष्णव तीर्थस्थल पर श्रीनाथजी मंदिर में भगवान कृष्ण सात वर्षीय 'शिशु' अवतार के रूप में विराजित हैं। भगवान श्रीनाथजी का मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है।