Rajasthan breaking news: सीएम अशोक गहलोत ने जीएसटी को लेकर बीजेपी पर साधा निशाना— केंद्र के इस फैसले से राज्यों को आर्थिक नुकसान
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान की इस वक्त की बड़ी खबर में आपको बता दें कि देश में जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लागू हुए 5 साल पूरे हो गए। 1 एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू होते ही लाखों करदाता एक यूनिफाइड इनडायरेक्ट टैक्सेशन सिस्टम में आ गए थे। 'वन नेशन, वन मार्केट, वन टैक्स' की शुरुआत के पीछे यह एक बड़ा उद्देश्य था, लेकिन आज जब जीएसटी को पांच साल पूरे हुए तो सीएम गहलोत ने इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। सीएम गहलोत ने कहा कि जीएसटी खामियों का भंडार था। इस फैसले से राज्यों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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कुछ वस्तुओं जैसे खाद्य तेलों पर Inverted Duty Structure के कारण उपलब्ध रिफंड को रोकने के संबंध में लिए निर्णय,टैक्स दरों में वृद्धि,कर के दायरे से बाहर वाली वस्तुओं पर कर लगाने के संबंध में जीएसटी काउंसिल में लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन कम से कम 1 वर्ष तक स्थगित रखा जाना चाहिए
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 1, 2022
सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि मोदी सरकार की ओर से लागू जीएसटी खामियों का भंडार है। एक देश, एक टैक्स की बात कर लागू किए जीएसटी में पांच स्लैब बनाकर पांच अलग-अलग टैक्स लगा दिए। राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति का पैसा समय पर नहीं दिया जाता है। राज्य सरकारों को भी जीएसटी के वर्तमान स्वरूप से नुकसान हो रहा है। जीएसटी के कारण राज्य सरकारों के आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार को जीएसटी क्षतिपूर्ति की सीमा को 5 साल और बढ़ाना चाहिए, जिससे राज्य सरकारों के घाटे को कम किया जा सके।सीएम गहलोत ने कहा कि दिव्यागों के लिए जरूरी उपकरणों पर जीएसटी लगाना मोदी सरकार की सोच को दिखाता है। आज छोटे व्यापारियों को इस जटिल जीएसटी प्रणाली के कारण लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं।
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एवं आर्थिक मंदी एवं कोरोना महामारी के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति गंभीर हो गई है। कोई भी राज्य इस विषम आर्थिक संकट का सामना अकेले करने में सक्षम नहीं है। इसलिए राज्यों को दिए जाने वाले जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को 5 वर्ष बढ़ाना आवश्यक है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 1, 2022
आपको बता दें कि आज जीएसटी की 5वीं सालगिरह है। आज ही के दिन 2017 में आजादी के बाद सबसे बड़े टैक्स रिफॉर्म कहे जाने वस्तु एवं सेवा कर की शुरुआत हुई थी। जीएसटी लागू होने के बाद कई तरह के छोटे करों को खत्म या इसी में समाहित कर दिया गया था। हालांकि, कई राज्य ऐसे थे जो जीएसटी को लेकर विरोध करते रहे हैं। खासतौर से कांग्रेस शासित राज्यों ने जीएसटी की खामियों को लेकर लगातार विरोध किया है।