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Rajasthan Politics: राजस्थान की धरती से एक बार फिर देश को मिला उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने देश के नए उपराष्ट्रपति की ली शपथ

 
Rajasthan Politics: राजस्थान की धरती से एक बार फिर देश को मिला उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने देश के नए उपराष्ट्रपति की ली शपथ

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान की धरती से एक बार फिर देश को नया उपराष्ट्रपति मिला है।  12 सालों के बाद राजस्थान ने देश को नया उपराष्ट्रपति दिया है। राजस्थान के झुंझुनू जिले के रहने वाले जगदीप धनखड़ ने उप राष्ट्रपति पद की शपथ ली है। इससे पहले  भैरोंसिंह शेखावत 12 अगस्त 2002 को भारत के ग्यारहवें उपराष्ट्रपति बने थे।  सुखद संयोग ये भी है कि राज्यसभा और लोकसभा दोनों की कमान राजस्थानी के हाथों में होगी और इससे अब संसद में राजस्थान का बोलबाला रहेगा। 

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देश के नए उपराष्ट्रपति पद की शपथ जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद ली है।  भैरों सिंह शेखावत के बाद जगदीप धनखड़ दूसरे राजस्थानी है जो इस पद पर पहुंचे है।  राजस्थान के भैरों सिंह शेखावत ने उप राष्ट्रपति पद की महिमा का शिखर तक पहुंचाया थ।  राजनीति में अजात शत्रु कहे जाने वाले स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत का उप राष्ट्रपति पद पर कार्यकाल 19 अगस्त, 2002 से 21 जुलाई, 2007 तक रहा था।  इस दौरान उन्होंने संसद के उच्च सदन की गरिमा को बढ़ाने का काम किया। अब राजस्थान के ही जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति के पद तक पहुंचने का गौरव हासिल हुआ है। जगदीप धनखड़ ने लॉ और पॉलिटिक्स  दोनों में अपना लोहा मनवाया है वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में बतौर राज्यमंत्री भी रहे हैं तथा पीएम मोदी के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे हैं। एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी प्रत्याशी मार्ग्रेट अल्वा को एकतरफा हराया है।  अटल बिहारी वाजपेई के प्रधानमंत्री रहते हुए भैरों सिंह शेखावत ने उप राष्ट्रपति पद और राज्यसभा के सभापति का जिम्मा संभाला था और ख्याति हासिल की है। 

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देश के नए उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले जगदीप धनखड़ की कार्यशैली भी कुछ-कुछ भैरों सिंह शेखावत से मिलती है।  यही कारण है कि बंगाल गवर्नर के पद पर रहते हुए ममता बनर्जी से रिश्ते अच्छे नहीं होते हुए भी बनर्जी ने उपराष्ट्रपति के चुनाव में उनके खिलाफ मत नहीं दिया, यूं कहे दूरी बना ली। जगदीप धनखड़ अपने युवा जीवन में कांग्रेस विचारधारा के रहे लेकिन उसके बाद वे जनता दल के हो गए और आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण ली।  लेकिन उनकी की अपनी खुद की विचारधारा रही जिसके कारण उनके सभी दलों में मित्र रहे और सबसे सौहार्दपूर्ण रिश्ते भी रहे है। ऐसे में उपराष्ट्रपति के पद पर और राज्यसभा के सभापति के तौर पर शेखावत परंपराओं को आगे बढ़ाने का काम जगदीप धनखड़ करते हुए नजर आ सकते हैं। राजस्थान के लिए ये सुखद संयोग भी रहेगा कि उच्च सदन राज्यसभा को जगदीप धनखड़ और निचले सदन को राजस्थान के ही ओम बिरला पहले से ही चला रहे है।