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Rajasthan Politics: एनसीआरबी की रिपोर्ट पर सीएम गहलोत का बड़ा बयान, कहा-गलत विश्लेषण करके राजस्थान को बदनाम करने की साजिश

 
Rajasthan Politics: एनसीआरबी की रिपोर्ट पर सीएम गहलोत का बड़ा बयान, कहा-गलत विश्लेषण करके राजस्थान को बदनाम करने की साजिश

जयपुर न्यूज डेस्क। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों में महिला दुष्कर्म के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर पहुंच गया है। एनसीआरबी के इन आंकड़ों ने प्रदेश की गहलोत सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है और विपक्ष लगातार इसे मुद्दा बनाकर गहलोत सरकार पर निशाना साध रहा है।  वहीं, खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिनके पास गृह विभाग का जिम्मा भी है उन्होंने इन आंकड़ों पर अपना स्पष्टीकरण जारी किया है। सीएम गहलोत ने कहा कि विपक्ष एनसीआरबी के आंकड़ों का गलत विश्लेषण करते राजस्थान को बदनाम करने की साजिश बताया है। 

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मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी किए बयान में तर्क दिया गया है एनसीआरबी 2021 की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के बाद राजस्थान को बदनाम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सामान्य वर्षों 2019 व 2021 के बीच आंकड़ों की तुलना करना उचित होगा। क्योंकि 2020 में लॉकडाउन रहा है।  राजस्थान में एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5 फीसदी अपराध कम दर्ज हुए हैं। जबकि एमपी, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड समेत 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अपराध अधिक दर्ज हुए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में तर्क दिया गया है कि गुजरात में अपराधों में करीब 69 फीसदी, हरियाणा में 24 फीसदी और एमपी में करीब 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। हत्या, महिलाओं के विरुद्ध अपराध और अपहरण में उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है। सबसे अधिक कस्टोडियल डेथ्स गुजरात में हुईं हैं। नाबालिगों से बलात्कार यानी पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है। अनिवार्य पंजीकरण नीति का ही परिणाम है कि 2017-18 में 33 फीसदी एफआईआर कोर्ट के तहत इस्तगासे द्वारा दर्ज होती थीं। लेकिन अब यह संख्या सिर्फ 13 फीसदी रह गई है। इनमें भी अधिकांश सीधे कोर्ट में जाने वाले मुकदमों की शिकायतें ही होती हैं। 

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जारी बयान में कहा है कि हमारी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का नतीजा है कि 2017-18 में बलात्कार के मामलों में अनुसंधान समय 274 दिन था जो अब केवल 68 दिन रह गया है। पॉक्सो के मामलों में अनुसंधान का औसत समय 2018 में 232 दिन था जो अब 66 दिन रह गया है। राजस्थान में पुलिस की ओर से हर अपराध के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की जा रही है। सरकार पूरी तरह पीड़ित पक्ष के साथ खड़ी रहती है। 2015 में एससी-एसटी एक्ट के करीब 51 फीसदी मामले अदालत के माध्यम से दर्ज होते थे। अब यह महज 10 फीसदी रह गया है। यह एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण नीति की सफलता है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने अपने बयान में कहा कि यह चिंता का विषय है कि कुछ लोगों ने हमारी सरकार की एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण की नीति का दुरुपयोग किया है। झूठी एफआईआर भी दर्ज करवाईं है।  इसी का नतीजा है कि प्रदेश में 2019 में महिला अपराधों की 45.28 फीसदी, 2020 में 44.77 फीसदी एवं 2021 में 45.26 फीसदी एफआईआर जांच में झूठी निकली है। झूठी एफआईआर करवाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है एवं आगे भी की जाएगी।