Rajasthan Politics: बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कांग्रेस पर हमला, कांग्रेस आलाकमान को बताया कमजोर
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर चल रहे सियासी संकट पर बीजेपी अब कांग्रेस पर लगात्तार हमले कर रहीं है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया हाड़ौती संभाग के दौरे पर हैं। इस दौरान गहलोत सरकार पर जमकर हमला किया है । उन्होंने कोटा में भाजपा जिला कार्यकारिणी की बैठक लेने के साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत भी की है। इसके तहत कोटा शहर के 694 बूथों पर बालिकाओं को गोद लिया जाएगा। इसके अंतर्गत उनके सुकन्या समृद्धि योजना के खाते खोले जाएंगे।
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— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) October 9, 2022
कोटा में सतीश पूनिया जाट समाज के कार्यकारिणी शपथ ग्रहण और प्रतिभा सम्मान समारोह में पहुंचे। इसके बाद महर्षि बाल्मीकि जयंती समारोह में भाग लेने भी पहुंचे थे। शाम को इंडस्ट्रियल एरिया स्थित राजरानी टावर में मीडिया से बातचीत की और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। भाजपा में सीएम फेस को लेकर कश्मकश के सवाल पर सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस के साथ बीजेपी की तुलना नहीं की जा सकती है। कांग्रेस में दो-दो मुख्यमंत्रियों के नारे शपथ ग्रहण में लगे थे। इतिहास में कोई सरकार 50 दिन बाड़े में बंद नहीं रही है। किसी पार्टी का उपमुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ बर्खास्त कर दिया जाए और राजद्रोह का मुकदमा लगे, ऐसा भी नहीं हुआ है। इसका मतलब कांग्रेस का आलाकमान कमजोर है।
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सतीश पूनिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस की तुलना नहीं की जा सकती है। पार्टी के जितने नेता और जनप्रतिनिधि हैं सभी संसदीय दल के अनुशासन से बंधे हैं। अपवाद स्वरूप कुछ घटना हुई है, लेकिन कांग्रेस से उनकी तुलना नहीं हो सकती है। पार्टी पूरी तरह से एकजुट है। सतीश पूनिया ने यह भी कहा कि जब विधायकों ने स्पीकर को जाकर इस्तीफे दे दिए हैं तो भी वह सरकारी बंगले में रह रहे हैं, दफ्तर जा रहे हैं और तबादलों के आर्डर पर हस्ताक्षर भी कैसे कर रहे हैं। इसके अलावा वेतन भत्ता, पुलिस सुरक्षा और सरकार की रोटी कैसे खा सकते हैं। हमारी स्पीकर से मांग है कि जल्द इस्तीफे स्वीकार किए जाएं।
सतीश पूनिया से सीएम फेस को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में चर्चाएं होती हैं। बीजेपी वर्तमान में मिशन 2023 के लिए एकजुट होकर तैयारी में जुटी हुई है। एक तिहाई बहुमत से हम सरकार में वापसी करेंगे। पहले कहा जाता था कि बीजेपी के पास लीडरशिप क्राइसिस है। अब कई नाम सीएम फेस के लिए सामने आ रहे हैं, यह नाम पार्टी ने घोषित नहीं किए हैं। पब्लिक डोमेन में चल रहे हैं, कार्यकर्ताओं के बीच और सोशल मीडिया और मीडिया में भी चल रहे हैं। इससे लगता है कि पार्टी के पास सक्षम लोग हैं, लीडरशिप की क्राइसिस नहीं है। नेता कौन होगा, यह काम पार्टी तय करेगी। संसदीय दल जिसका नाम तय करेगा उसे पार्टी के सभी कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे।