Rajasthan Political Crisis : सीएम गहलोत के माफी मांगने पर कटारिया ने साधा निशाना, कहा- प्रदेश की जनता का सीएम ने किया अपमान
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में सीएम पद को लेकर सरगर्मिया बढ़ती जा रहीं है। राजस्थान में बढ़ते राजनैतिक संकट के बीच सीएम गहलोत ने आलाकमान से माफी मांग कर इसे दूर करने की कोशिश की है। लेकिन सीएम गहलोत के माफी मांगने से एक बार फिर बीजेपी उनपर हमलावर होती नजर आई है। बीजेपी नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले दिनों प्रदेश में जिस तरह का घटनाक्रम हुआ, उससे मुख्यमंत्री गहलोत का अपमान नहीं हुआ है। बल्कि उन्होंने जिस तरह से माफी मांगनी पड़ी इससे प्रदेश की आठ करोड़ जनता का अपमान हुआ है।
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कांग्रेस में घट रहे सियासी घटनाक्रम पर कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने आप को आलाकमान का वफादार बताते थे, लेकिन अपनी कुर्सी जाते देख उन्होंने अपने सलाहकारों को इस पूरे घटनाक्रम में लगा दिया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की बात कही उसके बाद यह पूरा घटनाक्रम हुआ। अब आलाकमान के डांटने पर सरेंडर हो गए हैं। कटारिया ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा माफी मांग कर सरेंडर होना तो ठीक है, लेकिन जिन लोगों ने उनके कहने पर आलाकमान से आमना सामना किया उनका क्या होगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद जिस तरह से विधायकों ने इस्तीफा दिया, इसके बाद सरकार अभी अल्पमत में है और इससे सीएम का संकट बढ़ गया है।
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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दुख जताने पर कहा कि जब आलाकमान की डांट पड़ती है, तो दुख स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि ऐसे में अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार को जनता के बीच में रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए अच्छा होगा कि सरकार अगले चुनाव की घोषणा कर दे और जनता जिसे भी अपना जनादेश देगी उसकी सरकार बनेगी।

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत सीनियर और अनुभवी आदमी हैं, लेकिन इस बार के कार्यकाल में उनके साथ जिस तरह के घटना हो रहे हैं इसके कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपना बैलेंस नहीं बना पा रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत को अपने ही पूर्व उपमुख्यमंत्री को नकारा और निकम्मा कहा और उन्होंने जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया, ऐसे शब्द राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं है। अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए स्वयं मना नहीं किया बल्कि आलाकमान के कहने पर मना किया। अब तो यह भी स्थिति बन रही है एक-दो दिन में उनका मुख्यमंत्री का पद भी जा सकता है।
