Rajasthan Breaking News: जेल प्रहरियों का अनशन हुआ खत्म, सीएम गहलोत ने वेतनमान में सुधार का दिया आश्वासन
जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान की बड़ी खबर में आपको बता दें कि सात दिन भूखे पेट काम कर रहे जेल प्रहरियों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया।है। राजस्थान की विभिन्न जेलों की सुरक्षा में तैनात 3 हजार से अधिक जेल प्रहरियों ने वेतन विसंगति के विरोध में मेस का बहिष्कार करते हुए काम करने का फैसला लिया था। जेल प्रहरियों का कहना था कि हम सब गांधीगिरी से अपना विरोध जताएंगे। बता दें कि सात दिन से जारी अनशन में कई जेल प्रहरियों की तबीयत भी बिगड़ी है। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद भी कही से कोई हिंसात्मक कार्रवाई की खबर नहीं है। सभी ने अपना अनशन शांत रहकर जारी रखा हुआ था और सीएम गहलोत के आश्वासन के बाद जेल प्रहरियों ने अपना अनशन समाप्त करने की घोषणा की है।
अवैध निर्माण पर जेडीए की बड़ी कार्रवाई, गुर्जर की थड़ी पर 4 मंजिला इमारत को किया जा रहा ध्वस्त
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जेल प्रहरियों की मांग को सुनते हुए वेतनमान में सुधार का आश्वासन दिया है। इसके बाद से प्रहरियों के चेहरों पर खुशी देखने को मिली है। इसी बीच अखिल भारतीय राजस्थान कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप गर्ग के नेतृत्व में पहुंचे पदाधिकारियों ने उदयपुर की जेल में अनशनरत प्रहरियों और अस्पताल में भर्ती प्रहरियों को जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त कराया। इनमें उदयपुर सेंट्रल जेल के 150 प्रहरी शामिल थे। वहीं, प्रतापगढ़ जिला जेल में राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण भट्ट ने जेल प्रहरियों को मिठाई खिलाकर उनका आंदोलन समाप्त करवाया है।
कोटा जेडीबी कॉलेज में छात्राओं का धरना जारी, म्यूजिक की डिग्री की विसंगति दूर करने की जा रही मांग
बता दें कि वेतन विसंगति को लेकर प्रदेश भर जेल प्रहरी सात दिन से अनशन पर थे। उनकी इस समस्या महासंघ के पदाधिकारियों ने मध्यस्थता निभाते हुए बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की है। सरकार ने पुलिसकर्मियों कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल की ग्रेड-पे और जेल प्रहरी, मुख्य प्रहरी की ग्रेड-पे में अंतर कर रखा है। जेल प्रहरी चाहते हैं कि उनका ग्रेड-पे लेवल तीन से बढ़ाकर लेवल पांच की जाए। यह अंतर कई सालों से चला आ रहा है। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने भी चुनाव से पहले यह अंतर खत्म करने की बात कही थी, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी समान वेतनमान नहीं दिया गया। प्रहरियों ने मांग की है कि इस मामले में जल्द से जल्द सरकार व प्रशासन निर्णय लें, जिससे उन्हें राहत मिल सके।