Holi 2022: डूंगरपुर में धुलंडी के मौके पर खेली गई पत्थर मार होली, 200 साल से चली आ रहीं परंपरा का किया निर्वहन
डूंगरपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान कल धुलंड़ी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया है। राजस्थान के बरसाने की लठमार होली के साथ अन्य जगहों की पारंपरिक होली देशभर में प्रसिद्ध है। राजस्थान के डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखण्ड क्षेत्र के भीलूड़ा गांव में धुलंडी के मौके पर 200 साल पुरानी पत्थर मार होली खेलने की परंपरा का निर्वहन किया गया है। इस परंपरा के तहत भीलूड़ा गांव में रघुनाथजी मंदिर के सामने मैदान में होली के रंग नहीं पत्थर बरसाए गए है। ढोल कुंडी की थाप पर होरिया की चीत्कार के साथ एक-दूसरे पर जमकर पत्थर फैंके गए। पत्थरबाजी में दोनों पक्षों के 48 लोग घायल हो गए। गंभीर घायल 3 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है।
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होली के दूसरे दिन मनाएं जाने वाले धुलंड़ी के पर्व पर डूंगरपुर के भीलूड़ा गांव में पत्थरमार होली खेली गई। भीलूड़ा समेत आसपास गावों के लोग ढोल कुंडी की थाप पर गैर नृत्य करते हुए रघुनाथजी मंदिर के पास एकत्रित हुए। जहां मंदिर में पूजा अर्चना की ओर फिर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी। इसके बाद गावों के लोग दो गुटों में बंट गए और ढोल कुंडी की धुन के साथ नाचते हुए पत्थर बरसाना शुरू कर दिया। होरियां की चीत्कार लगाते हुए दोनों पक्षों ने जमकर एक दूसरे पर पत्थर मारे। गोफन, गिलोर से दूर दूर तक पत्थर फैंके। वहीं, पत्थरों की मार से बचने के लिए सिर पर रूमाल, ढाल लेकर बचने का प्रयास करते हुए लोगों ने पत्थर मार होली का परंपरा को निभाया है।
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200 साल से चल रहीं इस अनोखी पत्थर मार होली की परंपरा को निभाया गया है। डेढ़ घंटे तक चली पत्थर मार होली से दोनों पक्षों के 48 लोगों को चोटें आई हैं। पत्थर लोगों के सिर, हाथ पैर और मुंह पर लगे, जिससे खून बहने लगा. घायलों को भीलुड़ा अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने घायलों का इलाज किया है। देर शाम को पत्थर मार होली खत्म हुई और फिर मंदिर में दर्शन कर लोग घरों को लौट गए। मान्यता है की पत्थर मार होली से जो खून जमीन पर गिरता है उससे गांव में कोई विघ्न नहीं आता है और गांव में खुशहाली रहती है।