Aapka Rajasthan

Rajasthan Breaking News: मानगढ़ धाम क्षेत्र का जल्द होगा विकास, मिलेगी जालियांवाला बाग जैसी पहचान

 
Rajasthan Breaking News:  मानगढ़ धाम क्षेत्र का जल्द होगा विकास, मिलेगी जालियांवाला बाग जैसी पहचान

बांसवाड़ा न्यूज डेस्क। राजस्थान की बड़ी खबर में आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया। इससे जालियांवाला बाग की तरह मानगढ़ धाम की भी पहचान होगी। राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासियों के लिए यह एक बड़ा तीर्थ है। 1500 आदिवासियों की शहीद स्थली मानगढ़ धाम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे फिर से यहां आने का मौका मिला है। उन्होंने अशोक गहलोत के लिए बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के नाते हम दोनों को साथ-साथ काम करने का मौका मिला है। 

आरएसएमएसएसबी ने CET की आवेदन तिथि बढ़ाई, अब अभ्यर्थी 3 नवंबर तक कर सकेंगे आवेदन

01


उन्होंने कहा कि परसों गोविंद गुरुजी की पुण्यतिथि थी, मैं उनको नमन करता हूं। मानगढ़ धाम आना सबके लिए प्रेरणा है, त्याग-तपस्या का प्रतिबिंब है। पीएम ने कहा कि मुझे मानगढ़ की पवित्र धरती पर सिर झुकाने का मौका मिला है। वे एक समाज सुधारक थे, वो आध्यात्म गुरु भी थे। हम आदिवासी समाज के योगदानों के कर्जदार हैं। भारत के चरित्र को सहेजने वाला आदिवासी समाज ही है। हालांकि उन्होंने इसे राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा नहीं की है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद स्मारक का दौरा कर आदिवासियों को श्रृद्धांजलि दी है। 

राजस्थान प्री डीएलएड परीक्षा 2022 का रिजल्ट घोषित, इस वेबसाइट पर करें अपने रिजल्ट की जांच

01

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम आदिवासी समाज के बलिदानों के ऋणी हैं। प्रकृति से लेकर पर्यावरण तक, संस्कृति से लेकर परंपराओं तक को सहेजा है। आज समय है कि देश इस ऋण के लिए, इस योगदान के लिए, आदिवासी समाज की सेवा कर उनका धन्यवाद करें। बीते आठ वर्षों से यही भावना हमारे प्रयासों को ऊर्जा देती रहती है। कुछ ही दिनों बाद 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा। आज देशभर में विशेष म्युजियम बनाए जा रहे हैं। जिस भव्य विरासत से हमारी पीढ़ियां वंचित थी, वह अब उनकी सोच का हिस्सा बनेगी। आदिवासी समाज का विस्तार और भूमिका इतनी बड़ी है कि हमें उसके लिए समर्पित भाव से काम करने की जरूरत है। राजस्थान और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर और ओडिशा तक विविधता से भरे आदिवासी समाज के लिए देश स्पष्ट विचार के साथ काम कर रहा है।