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परंपरागत अनाज की खेती छोड़ Udaipur में किसानो ने क्यों चुनी फूलों की खेती, यहां जानिए कैसे होता है कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा ?

 
परंपरागत अनाज की खेती छोड़ Udaipur में किसानो ने क्यों चुनी फूलों की खेती, यहां जानिए कैसे होता है कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा ? 

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - प्रदेशभर में कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर तकनीकी खेती या अन्य फसलों के उत्पादन को अपनाया है। इतना ही नहीं, इससे वे कई गुना अधिक मुनाफा भी कमा रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण उदयपुर से करीब 5 किलोमीटर दूर हवाला गांव में सामने आया है। यहां किसान पहले गेहूं और सब्जियों का उत्पादन करते थे, लेकिन बार-बार खराब होने के कारण उन्हें कोई मुनाफा नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने फूलों की खेती को अपनाया। फूलों की खेती अपनाने के बाद उनका मुनाफा सब्जियों और गेहूं सहित अन्य फसलों के उत्पादन से कहीं अधिक है।

अनाज की जगह फूलों की खेती से मुनाफा
हवाला गांव के किसान मांगीलाल तेली ने बताया कि पहले वे गेहूं की खेती करते थे। पास में तालाब होने के कारण बारिश में नहर का पानी खेतों में आ जाता था, जिससे फसल खराब हो रही थी। साथ ही मुनाफा भी नहीं हो रहा था। करीब 2 साल पहले उन्होंने फूलों की खेती की ओर रुख किया। 3 रुपए प्रति पौधा खरीदा और लगाया। 3 महीने में पौधे में फूल आने लगे, अब वे गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं। अब हर तीन दिन में फूल आ रहे हैं। इससे एक सप्ताह में 1 क्विंटल फूल तैयार होते हैं, जो 30 रुपये प्रति किलो बिकते हैं।

हर 4 महीने में उगाए जाते हैं अलग-अलग फूल
किसान खूबीलाल लाल तेली हवाला गांव में ही फूलों की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि काफी समय पहले वे गेहूं समेत अन्य मौसमी फसलों की खेती करते थे, फिर करीब 10 साल तक गुलाब की खेती की और अब मौसमी फूलों की खेती करते हैं। हर चार महीने में अलग-अलग फूल लगाते हैं।

फूलों की खेती में नहीं होता कोई नुकसान
महिला किसान चंद्रकला ने बताया कि फूलों की खेती में सबसे अच्छी और फायदेमंद बात यह है कि इसमें कोई नुकसान नहीं होता और न ही हमें रसायनों का छिड़काव करना पड़ता है। पहले सब्जियां उगाई जाती थीं, जिनमें कीटों के हमले की समस्या होती थी, लेकिन इन पर कीट हमला नहीं करते और कम मेहनत में मुनाफा हो जाता है।