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उदयपुर की बेटी मनस्वी अग्रवाल ने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा, रचा इतिहास

 
उदयपुर की बेटी मनस्वी अग्रवाल ने अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा, रचा इतिहास

राजस्थान की धरती के लिए गर्व का क्षण सामने आया है। उदयपुर की बेटी मनस्वी अग्रवाल ने विश्व के सबसे कठिन और दुर्गम महाद्वीप अंटार्कटिका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट विन्सन मैसिफ पर पहुंचकर भारतीय ध्वज फहराया है। मनस्वी ने यह ऐतिहासिक उपलब्धि 12 दिसंबर को हासिल की, जिससे उन्होंने न केवल उदयपुर और राजस्थान बल्कि पूरे देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है।

माउंट विन्सन मैसिफ लगभग 4,892 मीटर ऊंचा है और इसे दुनिया की सात सर्वोच्च चोटियों (सेवन समिट्स) में शामिल किया जाता है। अत्यधिक ठंड, तेज हवाएं और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण इस शिखर पर चढ़ाई करना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है। ऐसे में मनस्वी अग्रवाल द्वारा इस दुर्गम लक्ष्य को हासिल करना साहस, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का प्रतीक है।

बताया जा रहा है कि मनस्वी ने इस अभियान के लिए लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण लिया। अंटार्कटिका जैसे बर्फीले महाद्वीप में तापमान माइनस कई डिग्री तक गिर जाता है, जहां सीमित संसाधनों के बीच पर्वतारोहण करना आसान नहीं होता। इन तमाम कठिनाइयों के बावजूद मनस्वी ने अपने लक्ष्य को हासिल कर यह साबित कर दिया कि भारतीय महिलाएं किसी भी चुनौती को पार करने में सक्षम हैं।

मनस्वी अग्रवाल की इस उपलब्धि पर उदयपुर सहित पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। खेल और साहसिक गतिविधियों से जुड़े संगठनों ने उनकी इस सफलता को प्रेरणादायक बताया है। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मनस्वी को बधाइयां देते हुए कहा कि उन्होंने युवाओं, खासकर बेटियों के लिए एक नई मिसाल कायम की है।

मनस्वी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, प्रशिक्षकों और उन सभी लोगों को दिया जिन्होंने इस अभियान में उनका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि केवल उनकी नहीं, बल्कि हर उस युवा की है जो बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखता है। मनस्वी ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य देश के युवाओं को साहसिक खेलों की ओर प्रेरित करना और भारत की पहचान को वैश्विक स्तर पर और मजबूत करना है।

उल्लेखनीय है कि अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराना बेहद दुर्लभ उपलब्धियों में से एक माना जाता है। मनस्वी अग्रवाल का यह कारनामा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा और राजस्थान की बेटियों की क्षमता को एक बार फिर साबित करेगा।