Aapka Rajasthan

Udaipur राजस्थान के इस जिले में बनेगा प्राकृत और जैन साहित्य शिक्षा का एक बड़ा केंद्र

 
;

उदयपुर न्यूज़ डेस्क,मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में शीघ्र ही प्राकृत, पालि एवं जैन साहित्य शिक्षा का एक बड़ा केन्द्र तैयार होगा। यह देश का पहला ऐसा केंद्र होगा, जहां न केवल इन तीन भाषाओं की स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई कराई जा सकेगी, बल्कि इन विषयों से जुड़े विश्वस्तरीय आयोजन और शोध भी होंगे, ताकि इन विषयों से जुड़ी संस्कृति संरक्षित किया जा सकता है। इसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ जैनोलॉजी एंड प्राकृत नाम दिया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 22 मई को इसकी नींव रख चुके हैं।इस केंद्र में देश-विदेश में पड़ी पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाएगा। प्राकृत भाषा के विकास एवं उन्नयन हेतु जैन शिक्षा एवं प्राकृत विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा अध्यक्ष जमनालाल हापावत के सहयोग से संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस पर पांच करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

जैन शिक्षा और प्राकृत भाषा साहित्य का संरक्षण और प्रचारश्रमण पारंपरिक दैनिक प्राकृतिक प्रक्रियाओं का संरक्षण, प्रशिक्षण, प्रकाशन और प्रचार-प्रसारप्राकृत भाषा और साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मानक ग्रंथों और उनके अनुवादों के सस्ते और प्रामाणिक संस्करण उपलब्ध कराना।बारात ऐसी थी कि सड़कों पर जगह कम पड़ गई, पंडित प्रदीप मिश्र हेलीकॉप्टर से पहुंचेप्राकृत भवन के लिए लॉ कॉलेज छात्रावास के समीप 30 हजार वर्ग फुट भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिसमें से 15 वर्ग फुट का निर्माण किया जायेगा. इसके लिए हमने पूरी तैयारी कर ली है।