Udaipur 6 साल तक वेटलैंड सिटी, कचरे से सख्ती और झीलों पर आक्रमण से ही बचेगा दर्जा

आयड़ में सीवरेज, झीलों में कचरा जैसी चुनौतियां
पिछाेला झील निगम, फतहसागर यूडीए के अधीन है। पिछाेला में कई जगह सीवरेज और गंदगी घुल रही है। झील का संरक्षण नहीं हुआ तो तमगा बरकरार रखना चुनौती होगा।आयड़ नदी से शहर का गंदा पानी उदयसागर झील में जा रहा है। इस दिशा में प्रयास किए जाने की जरूरत है।पिछाेला झील के बैकवाॅटर में निर्माणाधीन मकानाें का मलबा और हाेटलाें का कचरा आदि फेंका जाता है। नगर निगम इस समस्या का सख्ती से स्थायी हल नहीं निकाल नहीं पाया है। ये आने वाले समय में छवि को बिगाड़ सकते हैं। इसे थामना जरूरी है।
शहर की झीलाें के कचरा फेंकने पर अब भी राेक है, लेेकिन आएदिन इस तरह की स्थिति सामने आ जाती है। ओल्ड सिटी में कई जगह कचरा सीधे झील में फेंक दिया जाता है। इसमें सुधार के प्रयास करने हाेंगे।
झीलाें में अवैध मछलियाें का आखेट किया जाता है। इस पर भी रोक है। इस दिशा में प्रयास जारी रखने होंगे।
इधर, मेनार के रामसर साइट घोषित होने की आस बढ़ी, इसका प्रस्ताव भी वेटलैंड सिटी के साथ ही भेजा था
उदयपुर को वेटलैंड सिटी का दर्जा मिलने के बाद अब मेनार तालाब के रामसर साइट घोषित होने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल, जिला प्रशासन और वन विभाग ने दाेनाें के लिए प्रस्ताव एक साथ भेजे थे। दोनों प्रस्ताव साथ ही भेजे गए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि इसे भी रामसर साइट घोषित किया जा सकता है।
प्रदेश सरकार इस तालाब को पहले ही वेटलैंड घाेषित कर चुकी है। अभी प्रदेश में जयपुर के सांभर लेक और भरतपुर केवलादेव पक्षी विहार यूनेस्को से रामसर साइट घाेषित हैं। मेनार तालाब में हर साल देश-विदेशी से करीब 200 प्रजातियाें के 10 हजार से ज्यादा पक्षी आते हैं। इनमें कई दुर्लभ और विलुप्त हो रही प्रजातियों के भी होते हैं। पक्षियाें के देखने के लिए हर साल लाखाें पर्यटक पहुंचते हैं।
यह फायदा मिलेगा
मेनार के रामसर साइट घाेषित हाेने से ईकाे टूरिज्म काे बढ़ावा मिलेगा।
पर्यटकाें के ठहरने के लिए हाेम स्टे बनेंगे। इससे स्थानीय ग्रामीणाें काे राेजगार मिलेगा।
गांव में स्थानीय युवाओं काे नेचर गाइड का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
तालाबाें में जा रही गंदगी थमेगी। पेटे में किए गए अतिक्रमण हटेंगे।
जिला प्रशासन और वन विभाग की ओर बजट दिया जाएगा।
नई सुविधाएं विकसित हाेंगी।