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Udaipur साइंस कॉलेज डीन ने पदोन्नति फाइल पर नहीं किए हस्ताक्षर, छिड़ा विवाद

 
Udaipur साइंस कॉलेज डीन ने पदोन्नति फाइल पर नहीं किए हस्ताक्षर, छिड़ा विवाद

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर  सुविवि में पिछले 10 साल से लंबित 150 से ज्यादा शिक्षकों की पदोन्नति का मामला फिर विवादों में आ गया है। इससे पहले फरवरी में भी इस पदोन्नति प्रक्रिया पर विवाद हो चुका है। अब विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा और साइंस कॉलेज के डीन प्रो. सीपी जैन के बीच इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

दरअसल, गुरुवार को कुलपति प्रो. सुनीता की मौजूदगी में कॅरिअर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही थी, जिसमें कुलपति प्रो. सुनीता और डीन प्रो. जैन के बीच शिक्षकों की पदोन्नति के एक मामले में दो राय होने पर विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि कुलपति प्रो. सुनीता के निर्देश पर प्रो. जैन को साइंस कॉलेज डीन पद से हटा दिया गया। उनकी जगह डीन पीजी प्रो. आरती प्रसाद को साइंस कॉलेज के डीन का अतिरिक्त पदभार सौंप दिया है। प्रो. जैन ने आरोप लगाए हैं कि सुनीता मिश्रा उन पर दबाव बनाकर बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. टीकमचंद को नियम विरुद्ध पदोन्नति देना चाहती थीं। जबकि डॉ. टीकमचंद विवि प्रशासन की बिना अनुमतिके विदेश चले गए थे। इस मामले की जांच- अभी तक लंबित चल रही है। ऐसे में मैं डॉ. टीकमचंद की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता। वहीं विवि प्रवक्ता डॉ. कुंजन आचार्य ने बताया कि डीन प्रो. जैन ने कुलपति प्रो. सुनीता के साथ अभद्रता की और विधि संवत कार्य भी नहीं किए। इसलिए उन्हें डीन पद से हटाया गया है।

यह है समाधान : आरोपी शिक्षकों को साइड में करें तो खुले राह

वर्ष 2012 भर्ती में 70 से भी ज्यादा पदों पर भर्तियां हुई थीं। इनमें 50 असिस्टेंट प्रोफेसर थे, जबकि बाकी एसोसिएट और प्रोफेसर थे। विवि के नियमों में विरोधाभास के चलते गुड अकादमिक रिकॉर्ड, एपीआई स्कोर सहित अन्य पहलू जांच के विषय बने। कुछ शिक्षकों पर नेट क्वालिफाइड नहीं होने, 2009 पीएचडी एक्ट एंड रेग्युलेशन के अनुसार उनकी पीएचडी नहीं जैसे आरोप हैं। मामले की तीन बार जांच हो चुकी है, लेकिन विवि ने अब तक एक भी जांच रिपोर्ट न तो सार्वजनिक की और न ही आरोपियों को क्लीनचिट का जिक्र किया। यही मामला बार-बार पदोन्नति भी अटकाता है। ऐसे में इन शिक्षकों को बाहर रखा जाए तो पदोन्नति संभव है।

फर्जीवाड़े की जांच जारी, प्रक्रिया अटकने के आसार

सुविवि में अगर पदोन्नति की यह प्रक्रिया पूरी हो जाए तो कम से कम 15 एसोसिएट प्रोफेसर का प्रोफेसर बनना तय है। इसके अलावा 40 असिस्टेंट प्रोफेसर की एसोसिएट प्रोफेसर पद पर पदोन्नति होगी। 85 की ग्रेड में बढ़ोतरी होगी। इसके तहत 6 से 7 हजार की ग्रेड वाले शिक्षकों को 7 से 8 हजार तथा 8 से 9 हजार की ग्रेड वालों को 9 से 10 हजार रुपए वाली ग्रेड मिलेगी। हालांकि, इस बार भी इस पदोन्नति प्रक्रिया के अटकने के पूरे आसार हैं। इसके पीछे 9 शिक्षकों के फर्जी दस्तावेजों की जांच जारी है, जबकि कुछ शिक्षक इसे कानूनी दाव-पेंच में उलझा देते हैं।

कुलपति बोलीं- 10 साल बाद हो रही पदोन्नति, फिर भी अड़ंगा लगा रहे हैं

कुलपति डॉ. सुनीता मिश्रा का कहना है कि साल 2014 के बाद बाद सुविवि में प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू कराई गई और इसके लिए एक्सपर्ट बुलाए गए हैं। 150 से ज्यादा शैक्षणिक कार्मिकों की पदोन्नति का मामला है, फिर इसमें अड़ंगा डालने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए डीन को बदला है। फेकल्टी के साल में 2 बार प्रमोशन होते हैं, लेकिन यहां 2014 से नहीं हुए। शिक्षकों से पिछले दो साल में चार बार एनुअल परफॉर्मेंस रिपोर्ट भरवाई जा चुकी है। एबीआरएसएम राजस्थान के प्रदेश सचिव डॉ. बालूदान बारहठ का कहना है कि यह खुशी की बात है कि वर्षों बाद शिक्षकों के प्रमोशन की प्रक्रिया आरंभ हुई है। जिन शिक्षकों ने यूजीसी पे स्केल में सेवारत रहते हुए विवि ज्वाइन किया, उनकी पूर्व सेवा अवधि को सीएएस में शामिल करने का विवि नियमों में स्पष्ट प्रावधान है।