Aapka Rajasthan

Udaipur सत्संग और संतों की संगति से व्यक्ति का व्यक्तित्व और रूप निखरता है

 
Udaipur सत्संग और संतों की संगति से व्यक्ति का व्यक्तित्व और रूप निखरता है

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर जिस प्रकार से लोठे को रोज मांजने पर वह चमक जाता है। ठीक उसी प्रकार सत्संग व संतों की संगत से हमारी सीरत और सूरत संवर जाती है। यह विचार संग्रामपुरा में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन बुधवार को बड़ीसादड़ी दिव्य रामद्वारा आनंद धाम के संत अनंतराम शास्त्री ने अपने प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। शास्त्री ने कहा कि संतों का सानिध्य भाग्यशाली लोगों को ही मिलता है। कथा में उपस्थित बड़ी संख्या में मौजूद भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि धर्मानुकूल रहकर कमाया हुआ धन ही हमें सुख और शान्ति प्रदान करता है। एवं हमें ईश्वर स्मरण के सहारे जीना चाहिए, आज मनुष्य के पास संसार की समस्त वस्तुओं का संग्रह करने के लिए समय है, लेकिन ईश्वर भक्ति के लिए उसके पास समय नहीं है।

आज का नादान इंसान संसार की समस्त नश्वर वस्तुओं में सुख को ढूंढते - ढूंढते जीवन गुजार देता है, लेकिन उसे असली सुख नहीं मिल पाता है लेकिन सच्चा सुख तो ईश्वर भक्ति में है। ईश्वर स्मरण के सहारे जीने वाले भक्त का जीवन आनंद के साथ गुजर जाता है। शास्त्री ने कहा कि मनुष्य का जन्म हमें भलाई के लिए मिला है, दूसरों की सेवा करने के लिए मिला है व समाज में पुण्य के कार्य करने के लिए मिला है। इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा को श्रवण कर, उसे जीवन में उतारने से हमारा जीना सार्थक हो जायेगा। कथा के बीच में मधुर भजनों पर कई साधक - साधिकाएं झूमते नजर आए। कथा में भक्त धुव्र प्रसंग और भगवान कपिल अवतार का विभिन्न रोचक प्रसंगों के माध्यम से जीवंत चित्रण किया। कथा के बाद सभी भक्तों को भागीरथ सुथार, भरत सुथार, रतन लाल सुथार, नारायण लाल सुथार, जगदीश सुथार, तुलसीराम सुथार, मांगीलाल सुथार, मोहन सुथार, अम्बा लाल सुथार की ओर से प्रसाद वितरित किया गया। आरती के बाद सभी भक्तों ने महाप्रसाद ग्रहण किया। कथा में रमेश सुथार, मांगीलाल लोहार, जगदीश चन्द्र सुथार, राजु सुथार सहित कई कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा।