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Udaipur में आदमखोर तेंदुए को गोली मारने के आदेश, इलाके में दहशत

 
Udaipur में आदमखोर तेंदुए को गोली मारने के आदेश, इलाके में दहशत

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर के गोगुंदा थाना इलाके में एक और महिला लेपर्ड का शिकार हो गई। मंगलवार सुबह हुए इस हमले में महिला की मौके पर ही मौत हो गई। महिला की गर्दन को जबड़े में दबाकर भागते लेपर्ड को ग्रामीणों ने शोर मचाकर भगाया। इससे पहले सोमवार को इसी थाना क्षेत्र में एक पुजारी को भी लेपर्ड ने मार डाला था। इस हमले के बाद गोगुंदा दौरे पर आए मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार उपाध्याय ने बताया कि लेपर्ड को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी दिए गए हैं।बीते 12 दिन में हुए अलग-अलग हमलों में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। वन विभाग ने इस दौरान पिंजरे लगाकर 4 लेपर्ड को पकड़ा भी है, लेकिन हमले रुक नहीं रहे हैं।इधर, घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने नेशनल हाईवे-27 को जाम करने की काेशिश की, एसपी योगेश गोयल की समझाइश के बाद ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ, हालांकि अभी ग्रामीण महिला का शव उठाने नहीं दे रहे हैं। वहीं, वन मंत्री संजय शर्मा ने दावा किया है कि आर्मी के सहयोग से आज शाम तक लेपर्ड को मार दिया जाएगा।

घर के आंगन में काम कर रही थी महिला

जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह 8 बजे हुआ हादसा हमला केलवो का खेड़ा गांव का है। यहां कमला कुंवर (55) अपने घर के आंगन में काम कर रही थी। इस दौरान लेपर्ड ने उस पर हमला कर दिया। महिला की चीख-पुकार सुनकर परिवार के दूसरे लोग बाहर भागे तो लेपर्ड उसके शव को छोड़कर भाग गया।लेपर्ड महिला को घर से 100 मीटर तक घसीटकर ले गया था। महिला का घर पहाड़ी पर है, उसके आपस पास कोई घर नहीं है। घर के पीछे पशुओं का बाड़ा है। उसमें महिला काम रही थी तभी लेपर्ड ने हमला कर दिया। परिवार ने बताया कि महिला की गर्दन लेपर्ड के जबड़ों में थी। गले में गहरा घाव होने उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

गोगुंदा के जंगल में नाला पार करते सबसे आगे उदयपुर एसपी योगेश गोयल और उनके पीछे प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) पीके उपाध्याय सहित अन्य अधिकारी। प्रशासन फिलहाल ग्रामीणों को अकेले जंगल के आसपास जाने से रोक रहा है।
गोगुंदा के जंगल में नाला पार करते सबसे आगे उदयपुर एसपी योगेश गोयल और उनके पीछे प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) पीके उपाध्याय सहित अन्य अधिकारी। प्रशासन फिलहाल ग्रामीणों को अकेले जंगल के आसपास जाने से रोक रहा है।

जहां पुजारी को मारा, उससे 1 किमी दूर ही हमला

एक दिन पहले भी बड़गांव थाना क्षेत्र के राठौड़ों का गुड़ा में रात को लेपर्ड ने मंदिर के पुजारी विष्णु गिरी (65) को मार डाला था। लेपर्ड ने पुजारी को घसीटते हुए 150 दूर खेत में ले गया था।राठौड़ों का गुड़ा से केलवों का खेड़ा गांव करीब 1 किमी दूर है। ऐसे में संभावना है कि पुजारी को मारने वाले लेपर्ड ने ही महिला पर हमला किया होगा। इधर, गांव में दो दिन में लेपर्ड द्वारा महिला सहित दो ​जनों की मौत के बाद दहशत का माहौल बना हुआ है।

एक ही लेपर्ड कर रहा ये हमले

झाड़ोल में बच्चे सहित दो जान लेने के बाद किसी लेपर्ड का मूवमेंट नजर नहीं आ रहा। वहां बिछीवाड़ा के दोनों घटनास्थलों पर 3-3 पिंजरे और 6-6 कैमरे अब भी लगे हैं। बिछीवाड़ा से 10 किमी और कीरट से 40 किमी दूर गोगुंदा की छाली पंचायत के उंडीथल में 19 सितंबर को पहला हमला हुआ। 16 साल की कमला गमेती शिकार बनी। यहीं से वन विभाग का सिरदर्द और ग्रामीणों का खौफ भी बढ़ना शुरू हो गया।इसे पकड़ने के लिए विभाग ने पिंजरे-कैमरे लगाए। सेना के जवान बुलाए, लेकिन इस सबके बावजूद 19 सितंबर को उंडीथल से 700 मीटर दूर छाली के ही भेवड़िया गांव में खुमाराम गमेती (45) को मार डाला। इसके अगले दिन 20 सितंबर को छाली के ही उमरिया गांव में हमेरी गमेती की जान ले ली। इस सबके बीच 24 सितंबर को दो पिंजरों में दो लेपर्ड फंसे।

एक 13 से 14 साल का बूढ़ा और दूसरा 7 से 8 साल का युवा। दोनों के केनाइन (चीरने फाड़ने के दांत) टूटे व घिसे हुए थे। दोनों को नरभक्षी माना गया। इनके पकड़े जाने के बाद भी हमले नहीं थमे। 25 सितंबर को मजावद पंचायत में 6 साल की बच्ची सूरज का शिकार किया। यहां 28 सितंबर को लेपर्ड पकड़ा गया तो 28 सितंबर को बगडूंदा पंचायत के गुर्जरों का गुड़ा में गटू बाई को शिकार बना लिया। इसके अगले दिन 29 सितंबर को लेपर्ड पिंजरे में फंसा तो 30 सितंबर को पुजारी का शिकार हो गया।

वन मंत्री बोले- आर्मी के सहयोग से मार देंगे

मिनिस्टर संजय शर्मा के अनुसार अधिकाारियों की मीटिंग में तय किया गया है कि आर्मी और लोकल पुलिस के सहयोग से वन विभाग की टीम आदमखोर लेपर्ड को मार देगी। मंगलवार को जहां उसने शिकार किया, उस जगह को चिह्नित कर इलाके में घेराबंदी की जाएगी। लेपर्ड न केवल लोगों का शिकार कर रहा है बल्कि शवों को क्षत-विक्षत कर रहा है। यह आदमखोर हो चुका है। हमला करने के बाद लेपर्ड करीब 3 किलोमीटर आगे बढ़ रहा है और फिर नया शिकार कर रहा है। उम्मीद है आज शाम तक आदमखोर लेपर्ड का अंत हो जाएगा।

लेपर्ड को गोली मारने का क्या है प्लान

वन विभाग की एक दर्जन से ज्यादा टीमें केलवों का खेड़ा गांव के जंगल में लेपर्ड को शूट करने की तैयारी में जुटी हैं।
टीम के साथ ढोल बजाने वाले भी हैं जो जंगल में ढोल बजाकर लेपर्ड को दौड़ाएंगे। ऐसा इसलिए किया जाएगा, ताकि शूटर उसे शूट कर सकें।
- लेपर्ड को मारने से पूर्व उसकी सही पहचान सुनिश्चित की जाए- इस संबंध में रिपोर्ट कमेटी एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान को दी जाए

पिंजरे तक पहुंचता है, लेकिन फंसता नहीं

बिछीवाड़ा में बच्चे शिव का शिकार करने के बाद लगाए पिंजरे के पास एक दिन लेपर्ड पहुंचा। कुत्ता बंद था। लेपर्ड पिंजरे को सूंघकर चला गया। ऐसे में आशंका है कि उसे पहले भी वन विभाग ने कहीं से पकड़ा होगा और बाद में जंगल में छोड़ा गया होगा। इस कारण वह चालाक हो गया और फंस नहीं रहा। मादा लेपर्ड के यूरिन के छिड़काव सहित अन्य तरीकों का भी असर नहीं हो रहा। यह बात इससे भी पुख्ता होती है कि हर हमले के बाद लेपर्ड पकड़े जा रहे हैं, लेकिन फिर भी हमला हो रहा है।

20 किमी टेरिटरी, इतनी ही हमलों में दूरी

फलासियां, झाड़ोल और गोगुंदा रेंज का जंगल आपस में जुड़ा है। यह लेपर्ड के लिए एक कॉरिडोर की तरह काम करता है। बारिश के समय लेपर्ड झाड़ियों और नदी-नालों में सही से नहीं चल पाता। इस कारण पहाड़ी एरिया में रहना पसंद करता है। माना जा रहा है कि यह लेपर्ड पहाड़ी रास्तों से झाड़ोल से विजय बावड़ी तक पहुंच गया। सड़क मार्ग से दूरी भले ही 10 से 40 किमी हो, लेकिन पहाड़ी रास्तों से यह घटकर आधी तक रह जाती है। एक पैंथर 15 से 20 किमी तक अपनी टेरिटरी बनाकर रहता है। वन विभाग की टीम हैरान-परेशान है।