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Udaipur खनिज निष्कर्षण पर रॉयल्टी बढ़ेगी तो होगा दोहरा लाभ, सरकार के एक कदम से बचेंगे उद्योग

 
Udaipur खनिज निष्कर्षण पर रॉयल्टी बढ़ेगी तो होगा दोहरा लाभ, सरकार के एक कदम से बचेंगे उद्योग

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर   प्रदेश से अन्य राज्यों में अप्रधान खनिज निर्गमन पर रॉयल्टी का दोहरीकरण किया जाता है तो सरकार को इससे दोहरा फायदा हो सकता है। एक ओर राज्य में दम तोड़ते खनिज ग्राइंडिंग उद्योगों (बॉल मिल्स) को संजीवनी मिलेगी, वहीं दूसरी ओर नई ग्राइंडिंग मिलों की स्थापना से औद्योगिक निवेश आने की संभावना हैं। मौजूदा हालात हैं कि निवेश आना तो दूर प्रदेशभर में संचालित ग्राइंडिंग उद्योगों पर संकट मंडरा रहा है। लगभग आधे उद्योग बंद हो चुके हैं। सरकार ने सत कदम नहीं उठाए तो शेष उद्योग भी बंद होने की आशंका है। देशभर में राजस्थान एवं आंध्रप्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां सोडा फेल्सपार एवं क्वार्ट्ज की सर्वाधिक खदानें हैं। राजस्थान की इन खदानों से जाने वाले कच्चे माल के दम पर गुजरात का मोरबी शहर दुनिया में सेरेमिक टाइल्स उत्पादन की दूसरी सबसे बड़ी मंडी बन गया है। लेकिन देश में इन खनिजों का सर्वाधिक भंडार होने के बावजूद राजस्थान में उद्योग नहीं पनप पा रहे हैं।

प्रदेश में न के बराबर सेरेमिक टाइल उद्योग हैं। हां, सोडा फेल्सपार एवं क्वार्ट्ज की ग्राइंडिंग के लिए अरावली पर्वत श्रंखला के आस-पास के जिलों में बॉल मिलों की स्थापना हुई, लेकिन पिछले करीब एक वर्ष से यही कार्य गुजरात में शुरू होने के कारण राजस्थान की मिलें बंद होना शुरू हो गई। अन्य राज्यों में खनिज निर्गमन शुल्क भी राजस्थान के बराबर ही होने से प्रतिस्पर्धा में प्रदेश के उद्यमी पिछड़ने लग गए। बॉल मिल उद्यमियों का कहना है कि यदि सरकार अन्य राज्यों के लिए अप्रधान खनिजों की रॉयल्टी बढ़ाती है तो एक ओर जहां सरकार का राजस्व बढ़ेगा, वहीं निर्गमन नियंत्रित होने से मौजूदा बॉल मिलों को भी संजीवनी मिलेगी। यदि रॉयल्टी दर मौजूदा से छह गुना की जाती है तो प्रदेश में और ग्राइंडिंग मिल्स के रूप में निवेश आने की संभावना है।

हम लोग प्रदेश से बाहर कच्चा माल नहीं देना चाहते, लेकिन हमारी कुछ मजबूरियां हैं। मोरबी के व्यापारी हमें 120 से 150 दिन के बीच में भुगतान करते हैं, हमारा पैसा वहां फंसा रहता है। दूसरा माल से ज्यादा गाड़ी का भाड़ा होता है। यदि वे गाड़ी को रिजेक्ट कर देते हैं, तो गाड़ी दूसरी से तीसरी जगह घूमती रहती है। ट्रांसपोर्टर के दबाव में गाड़ी खाली करवानी पड़ती है। वहां कच्चे माल के खरीदार मात्र 40 -50 ही हैं और वह भी संगठित है।