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Udaipur भुट्टा खा रही लड़की की सांस की नली में फंसा अनाज, ऑपरेशन से मिली राहत

 
Udaipur भुट्टा खा रही लड़की की सांस की नली में फंसा अनाज, ऑपरेशन से मिली राहत

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, भुट्टे खाते हुए तीन साल की बच्ची की श्वास नली में मक्के का दाना फंस गया, जिसे ब्रोंकोस्कोपी (दूरबीन) से निकाला गया। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। कम उम्र के कारण बच्ची का ऑपरेशन करना भी संभव नहीं था। ऐसे में दूरबीन से दाना निकाला गया। उदयपुर के पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में बच्ची का इलाज किया गया। पिता मध्यप्रदेश से अपनी बच्ची को इलाज के लिए उदयपुर लाए थे। उसे लगातार खांसी और सीने में दर्द के साथ-साथ श्वास लेने में तकलीफ हो रही थी। अब बच्ची स्वास्थ्य है।

कम उम्र के कारण ऑपरेशन नहीं था संभव

पीएमसीएच उदयपुर के डॉ.शिव कौशिक ने बताया बच्चे की जांच कराई तो सामने आया कि बच्ची के दोनों फेफड़ों के बीच में श्वास नली में दाना फंसा हुआ है। बच्ची का तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी था लेकिन बच्ची की कम उम्र होने से ऐसा करना संभव नहीं था। ऐसे में बच्ची की ब्रोंकोस्कोपी करने का फैसला लिया गया। इसके बाद चिकित्सकों की टीम ने उसे बेहोश कर दूरबीन से उसके मुंह के रास्ते से श्वास नली के अंदर फंसे हुए मक्के के दाने को बाहर निकाला गया। बच्ची अब स्वस्थ है।

भुट्टा खाने के बाद शुरू हुई थी खांसी

मंदसौर जिले के सीतामऊ तहसील के लदूना गांव के रहने वाले रिहांशी के पापा अरविंद पाटीदार ने बताया कि उनके वे मजदूरी के साथ अफीम की खेती करते है। अफीम के पास भुट्टे बोए और जब भुट्टे घर लेकर आए। 4 अप्रैल 2024 की शाम को घर पर ही सब जने भुट्टे सेंक कर खा रहे थे तब एकाएक रिहांशी तेज से खांसने लग गई तो हमें लगा कि भुट्टे का दाना गले में फंस गया है। उसके बाद वह रोने लग गई और उसको लगातार खांसी हो रही थी। हम गांव से सीधे उसी दिन रात को मंदसौर लेकर गए। वहां पर अस्पताल में इलाज शुरू कराया और करीब पांच घंटे बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।

3 दिन वेंटिलेटर पर रही बच्ची

अरविंद ने बताया कि मंदसौर से सीधे बेटी को 5 अप्रैल 2024 की सुबह उदयपुर लेकर आए। अरविंद कहते है कि उसी दिन डॉक्टरों ने शाम करीब 4 बजे मक्की का दाना निकाल दिया। इसके बाद तीन दिन अस्पताल में रखा और फिर डिस्चार्ज किया। बच्ची अस्पताल में 3 दिन वेंटिलेटर पर रही। आठवीं पास अरविंद ने बताया कि उनकी पत्नी सरस्वती भी खेती में मदद करती है। उनके तीन बेटियां है, सबसे बड़ी आठ साल की आजादी, उसके बाद रियांशी और तीसरे नंबर पर डेढ़ साल की कीटू है।

श्वास नली हो सकती थी बंद

डॉ.कौशिक ने बताया कि ऑपरेशन में देरी हो जाती तो बच्ची की मक्के के दाने के ज्यादा फूलने के कारण श्वास नली के बंद होने के साथ खतरा बढ़ने की संभावना थी। डॉक्टरों की टीम में कौशिक के साथ डॉ.रिचा गुप्ता, डॉ.प्रकाश औदिच्य, डॉ.समीर गोयल शामिल रहे।

बच्चों को इन चीजों से रखें दूर

पीएमसीएच उदयपुर के डॉ.शिव कौशिक ने बताया सबसे पहले ऐसे केस नहीं हो इसके लिए पांच साल से छोटे बच्चों को चने, बादाम, ड्राई फ्रूट, मूंगफली के दाने से हमेशा दूर रखना चाहिए। ये ही सांस की नली में फंस जाएं तो फूलकर बड़े हो जाते हैं। गले के अंदर रास्ता छोटा होता है। ऐसी स्थिति में दानों को निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे केस में 100 में से 1 बच्चे की जान भी जा सकती है। कभी ऐसी स्थिति किसी बच्चे के साथ हो जाए और सांस में रुकावट आने लगे या होंठ नीले पड़ने लगे या छाती अंदर की तरफ जाने लग जाएं। ऐसे लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

ब्रोंकोस्कोपी क्या है

सांस की नली को देखने के लिए ब्रोंकोस्कोपी किया जाता है। इसमें नाक या मुंह के जरिए एक ब्रोंकोस्कोप डालते हैं जिसमें माइक्रो कैमरा लगा होता है। इससे ट्यूमर, इंफेक्शन, सांस की नली या फेफड़ों की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

खाते वक्त ये 5 गलती करने पर अटक सकता है खाना

जल्दी-जल्दी खाना खाने पर
लगातार बात करते हुए खाने पर
खाना बिना चबाए सीधे निगलने पर
खेलते हुए बच्चे को खाना खिलाने पर
नींद में किसी को खाना खिलाने पर