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Udaipur सलूम्बर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के बारे में लोगों को दी जानकारी

 
Udaipur सलूम्बर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के बारे में लोगों को दी जानकारी

उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर पुस्तक प्रदर्शनी पखवाड़ा में आयोजित वार्ता श्रृंखला में वार्ताकार डॉ. विमला भंडारी ने जीत पर व्याख्या की। वार्ताकार के रूप में उन्होंने सलूम्बर क्षेत्र की जनता और शासकों के बीच अनेक मेले, उत्सव, त्योहार मनाने की सांस्कृतिक परंपरा का परिचय देते हुए अपनी बात में वनवासी संस्कृति में खेले जाने वाले गेर नृत्य, गवरी नृत्य और ढोल नृत्य पर भी अपनी बात रखी। यही नहीं पांचम के बादशाह, धींगा गणगौर जैसे उदाहरण देकर सलूम्बर जनता के स्वतंत्रता प्रेम और पराभव काल में भी उसके आत्मगौरव को रेखांकित किए जाने वाले उदाहरण प्रस्तुत किए।

डॉ विमला भंडारी एवं पूंजीलाल वरनोति की ओर से कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना, दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। जिला पुस्तकालय अध्यक्ष एवं पुस्तक प्रदर्शनी के संयोजक प्रकाश शर्मा ने आज के विषय के महत्त्व को रेखांकित करते हुए आमंत्रित वार्ताकारों का परिचय देते हुए स्वागत किया। प्रथम चरण में जयेश खटीक ने कविता ‘‘मायड़ थ्हारो वो पूत कठेज्’’ द्वारा वीर रस एवं ओज से परिपूर्ण गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में पूंजीलाल वरनोती ने संतवाणी के भजन ‘‘दुनियादारी ओंकारा अन्ना भेद मत दी जो रे..’’ मुखारविन्द से सुनाकर सलूम्बर के सांस्कृतिक पुरावैभव की धार्मिक परंपरा से जोड़ा। पंडित विश्वेशर शर्मा का लिखा गीत ‘‘म्हारो देश म्हनै प्यारो लागे जी, मेवाड़ शिरोमणि देश मनै वालो लागे जीज्’’ सुनाकर राष्ट्रीय प्रेम के भाव से जोड़ा। कार्यक्रम के तृतीय चरण में महत्त्वपूर्ण पुस्तक सलूम्बर के इतिहास की लेखिका डॉ विमला भंडारी द्वारा सलूंबर क्षेत्र के सांस्कृतिक पुरा वैभव को उजागर करते हुए एक विस्तृत परिश्रंखला उत्सव, त्योहार, नृत्य, सवारी, गीत, संगीत एवं धार्मिक परंपराओ को लेकर विस्तारित जानकारी दी। इस अवसर पर लगभग 150 से भी अधिक पुस्तकालय के पाठको ने भागीदारी की।