Udaipur सितारा होटलों का जायका बढ़ा रही जिले की विदेशी सब्जियां, औषधीय गुणों से भरपूर
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर कृषि क्षेत्र में नवाचारों के कारण उदयपुर की अलग पहचान बन रही है। इसमें राजस्थान कृषि महाविद्यालय की विशेष भूमिका रही है। महाविद्यालय में विदेशी सब्जियां उगाने का प्रयोग किया गया, जो सफल रहा। इन सब्जियों की डिमांड उदयपुर के फाइव व सेवन स्टार होटलों में है। ये सब्जियां है पार्सले, सैलेरी और थाई बासिल। तीनों ही विदेशी सब्जियां औषधीय गुणों से भरपूर है। वरिष्ठ सब्जी वैज्ञानिक डॉ. कपिल आमेटा ने बताया कि इन सब्जियों की डिमांड विदेश में ज्यादा रहती है। उदयपुर में इन्हें बाहर से मंगवाया जाता था, लेकिन अब यहां उत्पादन होने से ये शहर के होटलों में भी भेजी जा रही है। यहां के स्थानीय वैंडर्स महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबद्ध राजस्थान कृषि महाविद्यालय से सौ से डेढ़ सौ रुपए किलो में ले जाते हैं और तीन सौ से चार सौ रुपए किलो तक विक्रय कर रहे हैं। खास बात ये है कि इन सब्जियों को जैविक खाद से तैयार किया जाता है। सैलेरी का वैज्ञानिक नाम एपियम ग्रेवेलैन्स, पार्सले का वैज्ञानिक नाम पैट्रौसैलीनम क्रिस्पम, थाई बैसील का वैज्ञानिक नाम ओसीमम बासीलीकम है।
पत्तियों का बनता है सूप
इसकी पत्ती का सूप बनता है। ये एंटी कैंसर है। इसका सेवन कैंसर में उपयोगी है। पांच व सात सितारा होटलों में सलाद में उपयोग किया जाता है। ये सर्दी की फसल है। पॉली हाउस में सालभर उगाया जा सकता है। कीमत सौ से दो सौ रुपए किलो तक है। एक बार लगाने पर दो से तीन साल तक चलती है।
पार्सले: धनिये की तरह होता है उपयोग
घर में बन रही सब्जी का स्वाद बढ़ाने के लिए धनिये की तरह उपयोग किया जाता है। विदेशों में इसको नॉनवेज में डाला जाता है। इसकी कीमत सौ से चार सौ रुपए प्रति किलो तक है। इसकी खेती सर्दी में की जाती है। पॉली हाउस में सालभर खेती की जा सकती है। इसकी पत्तियां धनिये की तरह होती है।
थाई बासिल: डिमांड 40 किलो रोज
इसकी पत्तियों की कीमत सौ से दो सौ रुपए किलो है। इसका उपयोग सलाद, सूप, पीजा, पास्ता में किया जाता है। इसके अलावा फास्टफूड में भी इसका उपयोग होता है। उदयपुर के होटलों में प्रतिदिन की डिमांड 40 किलो के आस-पास है। पहले इनको गुजरात, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश से मंगवाया जाता था।