Udaipur निर्माण सामग्री के मलबे से बननी थी ईंटें और बजरी, मशीनें खा रहीं जंग
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर एक तरफ शहर स्वच्छता रैंकिंग में लगातार पिछड़ता जा रहा है तो दूसरी तरफ वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लगाई गई करोड़ों रुपए की मशीनें जंग खा रही हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बलीचा में तैयार कंस्ट्रक्शन एंड डि-मोल्युशन (सी एंड डी) प्लांट तीन साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। डेढ़ करोड़ की लागत से बने इस प्लांट का उद्देश्य शहर में मकानों के पुनर्निर्माण के दौरान निकलने वाले पत्थर, ईंट, रेत और सख्त हो चुके सीमेंट बैगों को रिसाइकिल कर सीमेंट ब्लॉक (ईंटें) और गिट्टी तैयार करना था। इनका उपयोग फुटपाथ आदि बनाने में किया जाना था।
प्लांट की मरम्मत, संधारण और संचालन को लेकर निगम की ओर से 25 दिन पहले तीसरी बार टेंडर निकाला गया। लेकिन खामियों के चलते यह निरस्त हो गया। निगम के टेंडर में प्लांट संचालन से पहले करीब दो माह तक उसके मरम्मत कार्य को लेकर दरें तो मांगी, लेकिन टेंडर से मुनाफा कमाने वाली दरों को लेकर माह वार इनकम देने वाला परफोर्मा (बीओक्यू) अपलोड ही नहीं किया। इससे टेंडर को निरस्त करना पड़ा। इससे पहले दो बार तकनीकी और सख्त शर्तों के कारण किसी भी ठेका एजेंसी ने टेंडर के लिए आवेदन ही नहीं किया था।
पड़ताल में सामने आया कि प्लांट के हैंडओवर के बीते तीन सालों में न तो इसका संचालन किया गया और न ही मरम्मत हुई। प्लांट के ज्यादातर पुर्जों को जंग लग चुका है। हालांकि, निगम के जिम्मेदार बीते छह माह तक प्लांट के संचालन का दावा कर रहे हैं। बता दें कि स्मार्ट सिटी की ओर सेे वर्ष 2020 में इस प्लांट के निर्माण का काम शुरू किया था। इसके बाद वर्ष 2021-22 में इसे नगर निगम को सौंपा दिया था।
6 सितंबर को निकाले थे टेंडर, परफोर्मा अपलोड ही नहीं किया
निगम ने 6 सितंबर 2024 को प्लांट की पहले मरम्मत और बाद में संचालन के टेंडर निकाले थे। इसमें ही स्पष्ट किया था कि मरम्मत कार्य दो माह में करना होगा। इससे स्पष्ट है कि प्लांट वर्तमान में संचालन योग्य नहीं है। एक वर्षीय टेंडर में पहले दो महीने मरम्मत के थे। बाकी के 10 महीनों में एजेंसी को बिजनेस और निगम को राजस्व देना शुरू करना था। लेकिन, निगम ने टेंडर में मरम्मत को लेकर दरें देने वाला परफोर्मा तो अपलोड कर दिया, लेकिन मरम्मत के बाद माह वार इनकम देने वाले परफोर्मे (बीओक्यू) को अपलोड नहीं किया।
टेंडर के तहत इसकी प्री-बीड मीटिंग 9 सितंबर को तय थी। यहां कई संवेदकों ने बीओक्यू अपलोड नहीं होने की जानकारी भी दी थी। आरटीपीपी एक्ट 2012 के नियम 2013 की धारा 22 व 46 के प्रावधानों के तहत प्री-बीड मीटिंग में शामिल एजेंसियों को जवाब देना जरूरी होता है, लेकिन निगम ने टेंडर में आवेदन की अंतिम तारीख 27 सितंबर 2024 से पहले तक किसी संवेदक फर्म को इसका जवाब तक नहीं दिया।
एसई बोले- फिर निकालेंगे टेंडर
स्मार्ट सिटी के अधीक्षण अभियंता मुकेश पुजारी का कहना है कि करीब तीन साल पहले नगर निगम को प्लांट हैंडओवर हो चुका है। निगम की ओर से इसके टेंडर भी निकाले गए हैं। अब आगामी दिनों में टेंडर की फिर से तैयारी है। इधर, गैराज शाखा प्रभारी एक्सईएन लाखन बैरवा ने सवालों के जवाब में बताया कि अपरिहार्य कारणों के चलते टेंडर निरस्त करना पड़ा था।