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राजस्थान में इस जगह खाई जाती है अफीम के पौधों के पत्तों की सब्जी, यहां जानिए इसकी रेसिपी और क्या है फायदे

 
राजस्थान में इस जगह खाई जाती है अफीम के पौधों के पत्तों की सब्जी, यहां जानिए इसकी रेसिपी और क्या है फायदे 

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र अफीम की खेती के लिए मशहूर है। यहां कई जिलों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जाती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यहां के किसान अफीम के पत्तों से एक खास तरह की सब्जी भी तैयार करते हैं। यह पारंपरिक व्यंजन यहां के ग्रामीण इलाकों में सालों से बनाया जाता रहा है और अपने कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।

भटेवर के किसानों की अनूठी परंपरा
उदयपुर जिले के भटेवर कस्बे के निवासी किसान निंबाराम बताते हैं कि उनके परिवार में पीढ़ियों से अफीम के पत्तों की सब्जी बनाई जाती रही है। वे कहते हैं, "हमारी खेती में अफीम का इस्तेमाल सिर्फ दवा के तौर पर ही नहीं होता, बल्कि इसके पत्ते भी काम आते हैं। बचपन से ही हम देखते आए हैं कि अफीम के छोटे-छोटे पौधों के पत्तों से स्वादिष्ट और सेहतमंद सब्जी बनती है।

कैसे बनती है यह खास सब्जी
अफीम के पत्तों से सब्जी बनाने की प्रक्रिया काफी रोचक है। सबसे पहले छोटे-छोटे हरे पत्तों को इकट्ठा करके अच्छी तरह से धोया जाता है। इसके बाद उन्हें उबाला जाता है, ताकि उनमें मौजूद नशीले तत्व नष्ट हो जाएं। उबालने के बाद पत्तों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है। इसके बाद एक कड़ाही में तेल गर्म करके उसमें सरसों, जीरा और लहसुन का तड़का लगाया जाता है। फिर उसमें प्याज, टमाटर, हल्दी, लाल मिर्च और नमक डालकर मसाला तैयार किया जाता है। और अंत में कटे हुए अफीम के पत्ते डालकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस तरह यह पारंपरिक सब्जी बनकर तैयार होती है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी होती है।

औषधीय गुणों से भरपूर पकवान
स्थानीय किसानों के अनुसार यह सब्जी कई औषधीय गुणों से भरपूर है। यह पाचन में मदद करती है और शरीर को गर्माहट प्रदान करती है। यही वजह है कि सर्दियों में इसका सेवन ज्यादा किया जाता है। कुछ किसान इस सब्जी को सुखाकर भी खाते हैं, ताकि साल भर इसका इस्तेमाल किया जा सके।

अफीम की खेती और परंपरा
मेवाड़ क्षेत्र के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, मंदसौर (मध्य प्रदेश) और नीमच जैसे जिलों में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। सरकारी लाइसेंस के तहत किसान अफीम उगाते हैं, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से दवाइयों में होता है। हालांकि, इसके पत्तों से बनी सब्जी स्थानीय समुदायों के लिए पारंपरिक भोजन बन गई है, जिसे कई सालों से बनाया और खाया जाता रहा है।

संस्कृति और स्वाद का अनूठा संगम
अफीम के पत्तों की सब्जी मेवाड़ की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का अनूठा उदाहरण है। एक तरफ जहां यह व्यंजन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, वहीं दूसरी तरफ यह दर्शाता है कि स्थानीय समुदाय अपनी खेती का पूरा उपयोग करके पारंपरिक व्यंजनों को कैसे जीवित रखते हैं।