मेवाड़ के गणगौर उत्सव में झलकती है सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक भव्यता, जानिए 450 साल पुरानी परंपरा की कहानी

गणगौर उत्सव का राजस्थान में विशेष महत्व है, लेकिन उदयपुर में इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है। इस उत्सव के दौरान झीलों की नगरी रंग-बिरंगे परिधानों, पारंपरिक संगीत और भव्य जुलूसों से सराबोर हो जाती है। हर साल गणगौर उत्सव के अवसर पर तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता है। मेवाड़ महोत्सव उदयपुर की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को पुनर्जीवित करने का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है।
तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव
इस दौरान शहर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें लोक नृत्य, पारंपरिक गायन, मटकी फोड़ना और मेहंदी प्रतियोगिता शामिल हैं। गणगौर उत्सव के मुख्य दिन उदयपुर की महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर अपने पति की सलामती के लिए गणगौर माता (देवी पार्वती) की पूजा करती हैं। शहर के गणगौर घाट का नजारा देखने लायक होता है, जब विभिन्न समुदायों की महिलाएं अपनी गणगौर मूर्तियों के साथ वहां पहुंचती हैं। गणगौर की यह परंपरा उदयपुर में सैकड़ों सालों से चली आ रही है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक उमड़ते हैं।
मुख्य आकर्षण शाही नाव की सवारी
मेवाड़ महोत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण शाही नाव की सवारी है। यह परंपरा करीब 450 साल पुरानी है और मेवाड़ राजघराने की विरासत को संजोए हुए है। इस दौरान गणगौर माता की शाही सवारी को विशेष रूप से सजाए गए नावों के जरिए पिछोला झील की सैर कराई जाती है। जब यह सवारी लाइव लोक नृत्य और ढोल की धुन के साथ निकलती है, तो झील का नजारा अद्भुत हो जाता है।
पर्यटकों को मिलता है अद्भुत अनुभव
इस महोत्सव के दौरान पर्यटकों को उदयपुर की शाही और सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने का मौका मिलता है। झीलों के किनारे पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां पर्यटक स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति का लुत्फ उठा सकते हैं। साथ ही इस अवसर पर शहर के बाजारों को भी पारंपरिक हस्तशिल्प और राजस्थानी कपड़ों से सजाया जाता है, जो खरीदारी के मजे को दोगुना कर देता है।
सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलती है
गणगौर और मेवाड़ महोत्सव का यह भव्य आयोजन उदयपुर को एक अलग पहचान देता है। यह न केवल धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। अगर आप इस ऐतिहासिक त्योहार का अनुभव करना चाहते हैं, तो गणगौर के अवसर पर उदयपुर आकर इसकी भव्यता का हिस्सा बन सकते हैं।