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दिल्ली-बेंगलुरु तक महकेगी Udaipur के इस गुलाल की खुशबु, खासियत जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

 
दिल्ली-बेंगलुरु तक महकेगी Udaipur के इस गुलाल की खुशबु, खासियत जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान 

उदयपुर न्यूज़ डेस्क - रंगों का त्योहार होली इस बार और भी खास होने जा रहा है, क्योंकि उदयपुर वन विभाग की पहल पर आदिवासी क्षेत्र की महिलाओं और ग्रामीणों द्वारा तैयार किया गया इको-फ्रेंडली हर्बल गुलाल राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के कई बड़े शहरों में अपनी खुशबू बिखेरने को तैयार है। वन विभाग से जुड़ी सुरक्षा समितियों के मार्गदर्शन में आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं और ग्रामीण पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं। इस गुलाल में कोई रासायनिक तत्व नहीं मिलाया गया है, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित है और कपड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह गुलाल अरारोट के आटे और प्राकृतिक फूलों से बनाया गया है, जिससे इसमें खास हल्की खुशबू आती है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस पहल से ग्रामीणों को न सिर्फ स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनके द्वारा तैयार किया गया गुलाल देश के कई हिस्सों में पहुंच रहा है।

कैसे बनता है हर्बल गुलाल?

इस हर्बल गुलाल को बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से प्राकृतिक है। ग्रामीण जंगलों में जाकर गुलाब, कचनार, पलाश, अमलताश और ढाक के फूलों के साथ ही विभिन्न प्रकार की सूखी पत्तियां भी इकट्ठा करते हैं। इसके बाद इन फूलों को सुखाकर देशी चूल्हे पर अलग से उबाला जाता है, जिससे इनमें मौजूद प्राकृतिक रंग और रस निकल आता है। बाद में इस रस को अरारोट के आटे में मिलाकर शुद्ध हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के कृत्रिम रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे यह पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल बन जाता है।

रोजगार और स्वावलंबन की नई राह
वन विभाग की यह पहल न केवल होली के त्यौहार को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि इससे आदिवासी क्षेत्र के कई गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। झाड़ोली, खोखियारों की नाल, कोडियात और केवड़े की नाल जैसे क्षेत्रों में ग्रामीण हर्बल गुलाल बनाने में जुटे हैं, जो उनकी आय का स्थाई जरिया बन रहा है। खास बात यह है कि उदयपुर के अलावा राजस्थान और चार अन्य राज्यों में इस गुलाल की जबरदस्त मांग है।

दिल्ली, बेंगलुरू और अहमदाबाद तक बढ़ी मांग
इस साल मेवाड़ के हर्बल गुलाल की खुशबू राजस्थान की सीमा पार कर दिल्ली, बेंगलुरू और अहमदाबाद तक पहुंच रही है। बढ़ती जागरूकता और रसायन मुक्त उत्पादों के प्रति लोगों का झुकाव इस हर्बल गुलाल की मांग को और बढ़ा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आने वाले वर्षों में इस पहल को और विस्तारित करने की योजना है, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण इसका लाभ उठा सकें।